एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अब ताइवान और कोरिया में भी ऐसे स्मारक बनाए गए हैं, बता दें, मोजुको कुयो की यह परंपरा 1970 में शुरू हुई जो 1980 तक बहुत ही लोकप्रिय हो गई। यहां मोजुको कुयो का मतलब का है मृत शिशु है। कोरिया भी पिछले कुछ समय से ऐसे अनुष्ठान कर रहा है, आपको जानकर हैरानी होगी कि यह इतना लोकप्रिय हो गया है कि, अब इस अनुष्ठान को अमेरिका में भी किया जाता है। बौद्ध परंपरा में माना जाता है कि बच्चों को बुरी आत्माओं से बचाने के लिए धार्मिक अनुष्ठान करना चाहिए। ये अजन्मे मृत बच्चे की आत्मा को शांति देता है। हजारों लोग यहां सोमवार को जुटकर उस मृत बच्चे के लिए प्रार्थना करते हैं, जो दुनिया में नहीं आ सका और उनके दोबारा आने की कामना करते हैं। उनका कहना है कि, ऐसा करने से उनके मन को शांति मिलती है। भ्रूण स्मारक सेवा, जापानी लोगों के लिए एक समारोह की तरह है।