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मध्यप्रदेश के इस शहर में निलंबित लेक्चरार बना सीएम सचिव, डीआईजी का माली पीए

locationरतलामPublished: Jul 20, 2019 03:12:11 pm

Submitted by:

sachin trivedi

रतलाम जिले के पांच युवाओं की शिकायत पर खुला राज, जांच अधिकारी भी हैरत में

रतलाम. सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर रतलाम, मंदसौर, उज्जैन और जावरा क्षेत्र के युवाओं की एक शिकायत ने पुलिस को भी हैरत में डाल दिया है। सीएम सचिव, डीआईजी का पीए और पुलिस इंस्पेक्टर बने कुछ लोगों ने इन युवाओं से लाखों रुपए टोकन मनी ले ली, मामला यही नहीं रूका, बल्कि कुछ युवाओं को तो बड़ा झांसा दिया गया। जब लंबे इंतजार के बाद बड़े अधिकारियों की तरह पेश आने वालों के वादों का कुछ नहीं हुआ तो युवा जावरा की पुलिस के पास पहुंच गए, पुलिस ने जांच की तो एक बड़ी ठगी का राज खुल गया। अब सीएम सचिव, डीआईजी का पीए और सब इंस्पेंक्टर बनकर धोखाधड़ी रचने वाले तीन आरोपियों को पुलिस ने न्यायालय में पेश किया, जहां से तीनों को पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया है। मामले की एक महिला आरोपी अब भी पुलिस की गिरफ्त से दूर है। बताया जा रहा है कि पूछताछ के दौरान कुछ और शहरों में ठगी करने की बात सामने आ रही है।
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जांच अधिकारी राजसिंह परमार ने बताया कि सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर धोखाधड़ी कर साढे पांच रुपए लूटने वाले आरोपी पीसी बांधेवाल, रणजीतसिंह तथा गोपाल परिहार को शुक्रवार को न्यायालय में पेश किया था, जहां से इनको 22 जुलाई तक पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया है। आरोपियों ने खुद का मुख्यमंत्री का सचिव, डीआईजी का पीए तथा सब इंस्पेंक्टर तथा मुख्यमंत्री कार्यालय में लिपिक होना बताकर जावरा, रतलाम, मंदसौर और नागदा के आठ युवाओं के साथ विश्वविद्यालयों में डायरेक्ट भृत्य की नौकरी लगाने की बात कहते हुए प्रत्येक से 3 लाख रुपए में सौदा किया था और 8 युवा कों से टोकन के रूप में करीब साढे पांच लाख ऐंठ लिए थे। मामले के तीनों पुरुष आरोपियों को गुरुवार को उज्जैन से गिरफ्तार किया और शुक्रवार को न्यायालय में पेश किया। मामले की महिला आरोपी आशा अब भी पुलिस की गिरफ्त से फरार है। एसआई परमार ने बताया कि रिमांड के दौरान आरोपियों से उनके शासकीय नौकरी में होने के दस्तावेज भी खंगाले जाएंगे व जानकारी जुटाई जाएगी।
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धोखाधड़ी कर उनसे 5 लाख 50 हजार रुपए ठग लिए
जावरा नगर पुलिस अधीक्षक अगम जैन ने बताया कि शासकीय यूनिवर्सिटी और कॉलेज में भृत्य के पद नौकरी दिलाने के नाम पर जावरा, रतलाम, मंदसौर और नागदा के युवकों के साथ धोखाधड़ी कर उनसे 5 लाख 50 हजार रुपए ठग लिए थे। आरोपी पूनमचन्द बांधेवाल निवासी भोपाल ने खुद को मुख्यमंत्री का सचिव, पत्नी आशा बांधेवाल ने मुख्यमंत्री कार्यालय में लिपिक, डॉ. रणजीतसिंह ने स्वयं को डीआईजी का पीए और गोपाल परिहार ने सब इंस्पेक्टर बताकर रुपए लिए है। सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर जावरा, रतलाम, मंदसौर और नागदा के युवकों के साथ मुख्यमंत्री का सचिव, डीआईजी का पीए और सब इंस्पेक्टर बनकर धोखाधड़ी की साजिश रचने वाले तीन आरोपियों को पुलिस ने उज्जैन से गिरफ्तार कर लिया है, महिला की तलाश जारी है। पुलिस ने आरोपी पूनमचन्द्र, रणजीत और गोपाल को उज्जैन से गिरफ्तार किया। सीएसपी जैन ने बताया कि स्वयं को मुख्यमंत्री का सचिव बताने वाला पूनमचन्द्र जो कि शिक्षा विभाग में लेक्चरार के पद पर पदस्थ था, जिसे किसी कारण से निलंबित कर दिया था, वहीं उसकी पत्नी आशा भी मुख्यमंत्री कार्यालय में लिपिक ना होकर शिक्षा विभाग में युडीसी के पद पर पदस्थ है। वहीं खुद को डीआईजी का पीए बताने वाला रणजीत दरअसल डीआईजी के बगंले पर माली का काम करता था। वहीं गोपाल परिहार कहीं भी कार्यरत नहीं था। इन चारों आरोपियों ने मिलकर आरोपियों ने धोखाधड़ी कर युवाओं से करीब साढे पांच लाख लूट लिए है।
मरीज बना था गोपाल, सरकारी नौकरी लगाने की बात कही
शालीगराम धाकड़ ने बताया कि अस्पताल रोड पर धाकड़ लैब पर काम करता है, उस दौरान गोपाल जो कि मूलत: ताल का निवासी है, मरीज बनकर उसके यहां जांच करवाने आया था, उसके बाद वह कई बार उसके पास आया, उसने उसे सरकारी नौकरी लगाने की बात कही, धाकड़ ने उसकी बात पर भरोसा कर अपने परिचितों को भी नौकरी लगवाने की बात बताई। जिस पर 20 अगस्त2017 को जावरा मिलने पहुंचे, उस दौरान उन्होंने अपना परिचय मुख्यमंत्री का सचिव, डीआईजी का पीए और सीएम ऑफिस का क्लर्क बताते हुए कहा कि उन्होंने कई लोगों की नौकरी लगवाई है, उन्हें भी वे शासकीय यूनिवर्सिटी में भृत्य के पद पर लगवा देंगे। इसके लिए सभी से 3 लाख रुपए में सौदा तय हुआ और युवकों ने नौकरी के लिए आवेदन व दस्तावेज दे दिए। आवेदन के साथ फरियादी शालिगराम धाकड़ ने 1 लाख, दिलीप बसेर, इमरान, दिनेश, शादाब ने 75-75 हजार रुपए, मुकेश, निलेश और विनोद ने 50-50 हजार रुपए टोकन मनी के रुप में दे दिए। शेष राशि कॉल लेटर आने के बाद देने की बात तय हुई। उसके बाद लम्बा समय बीतने के बाद भी जब नौकरी नहीं लगी तो युवकों ने इसकी शिकायत जावरा थाने पर की थी।
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