न्यायाधीश एम्मा ने भारतीय अधिकारियों को इस मामले में शामिल कुछ बैंक कर्मियों पर लगे आरोपों को समझाने के लिए ‘आमंत्रित’ किया और कहा कि यह बात माल्या के खिलाफ ‘षड्यंत्र’ के आरोप को साबित करने की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। बता दें कि शराब कारोबारी विजय माल्या के खिलाफ ब्रिटेन की इस अदालत में सुनवाई चल रही है कि क्या उन्हें प्रत्यर्पित करके भारत भेजा जा सकता है ताकि उनके खिलाफ भारत में अदालत बैंकों के साथ की गई धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में सुनवाई की जा सके। विजय माल्या पर भारतीय बैंकों के लगभग 9 हजार करोड़ रुपए के कर्ज की धोखाधड़ी और हेराफेरी का आरोप है।
इस मामले में भारत सरकार की तरफ से स्थानीय अभियोजक क्राउन प्रोसीक्यूशन सर्विस (सीपीएस) ने अदालत में इस संबंध में जमा कराए गए साक्ष्यों की स्वीकार्यता पर अपनी दलीलें पेश कीं, क्योंकि माल्या का बचाव कर रही वकील क्लेयर मोंटगोमेरी ने पिछली सुनवाई पर इन सबूतों की ग्राह्यता पर प्रश्न खड़े किए थे। उम्मीद है कि एम्मा इन सबूतों की ग्राह्यता पर उल्लेखनीय फैसला कर सकती हैं। साथ ही ब्रिटिश न्यायाधीश अपने अंतिम फैसले के लिए समयसीमा भी तय कर सकती हैं। गौरतलब है की मामले में बचाव पक्ष द्वारा अधिक स्पष्टीकरण की मांग किए जाने से इसका फैसला आने में देरी हो सकती है। फिलहाल तो माल्या दो अप्रैल 2018 तक जमानत पर बाहर हैं। हालाँकि अदालत ने उन्हें व्यक्तिगत रूप से पेश होने से छूट दी हुई थी फिर भी शुक्रवार को वह अदालत में पेश हुए थे ।