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फर्जी इसरो जासूसी मामला: ‘सुप्रीम’ फैसला आने से पहले ही कोमा में चले गए थे वैज्ञानिक, 2 दिन बाद मौत

locationनई दिल्लीPublished: Sep 19, 2018 08:50:20 am

Submitted by:

Saif Ur Rehman

इसरो जासूसी कांड के छह आरोपियों में नारायणन के साथ पूर्व अंतरिक्ष वैज्ञानिक के. चंद्रशेखर (76) भी शामिल थे।

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फर्जी इसरो जासूसी मामला: ‘सुप्रीम’ फैसला आने से पहले ही कोमा में चले गए थे वैज्ञानिक, 2 दिन बाद मौत

नई दिल्ली। हाल ही में देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) जासूसी कांड में इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन को दोषमुक्त करने का फैसला सुनाया। इसरो जासूसी कांड के छह आरोपियों में नारायणन के साथ पूर्व अंतरिक्ष वैज्ञानिक के. चंद्रशेखर (76) भी शामिल थे। के. चंद्रशेकर के बारे में एक बात सामने आई है कि वह करीब दो दशक तक उच्चतम न्यायालय के निर्णय की प्रतीक्षा करते रहे। उनका इंतजार बेकार हो गया। काफी मुश्किलों और संघर्ष के बाद जब शुक्रवार को उनके हक में फैसला आना था तो वह सुनने के लिए नहीं थे, क्योंकि कोर्ट के फैसले से ठीक कुछ घंटे पहले वह कोमा में पहुंच गए। ठीक दो दिन बाद उनकी मौत हो गई। मीडिया में आई खबरें के मुताबिक, चंद्रशेकर राव की पत्नी केजे विजयम्मा ने गमगीन आंखें लिए बताया कि, ” निजी अस्पताल में भर्ती चंद्रशेखर को टीवी पर आ रही खबर दिखाने की बहुत कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और रविवार रात 8:40 पर उनका निधन हो गया। चंद्रशेखर को एक महीने पहले अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वह शुक्रवार को करीब सात बजे कोमा में चले गए थे। विजयम्मा ने बताया कि वह सुबह से ही सुप्रीम कोर्ट के फैसले के इंतजार में थे। वह जानते थे कि मंगलवार को फैसला आएगा और उन्हें यकीन था कि सभी लोग जीत जाएंगे। मगर 24 वर्षों के बाद जब फैसला आया तो वह सुनने के लिए नहीं थे। विजयम्मा ने वैज्ञानिक चंद्रशेखर के आखिरी पलों को याद किया, साथ ही कहा कि झूठे मामले में फंसाए जाने पर परिवार बिखर गया था। उन्होंने इस मामले में बहुत दुख-दर्द झेले।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश: इसरो जासूसी केस में पूर्व वैज्ञानिक एस. नंबी नारायणन दोषमुक्त, मिलेगा 50 लाख का मुआवजा

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क्या है इसरो जासूसी केस?

इसरो जासूसी केस साल 1994 का मामला है। उस समय वैज्ञानिक नंबी नारायणन और डी शशिकुमारन को जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इस मामले में आरोप लगाए गए थे कि इसरो के दो वैज्ञानिकों समेत 6 लोगों ने अंतरिक्ष कार्यक्रम के गोपनीय दस्तावेज विदेशों में भेजे थे। उन पर गुप्त दस्तावेज पाकिस्तान को देने का आरोप लगे। इसके बाद यह केस सीबीआई को सौंप दिया गया था। सीबीआई ने अपनी जांच में इसरो वैज्ञानिक पर लगे आरोपों को झूठा बताया था। सीबीआई ने इस मामले में केरल पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाया था। इसके बाद में 1998 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को रद्द कर दिया था।
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