scriptमां-बेटी की नृशंस हत्या: पैसा उड़ाने में रईसजादों से भी आगे निकला मस्तराम, पढि़ए प्रतिघंटे कितने खर्च किए पैसे | Mother-Daughter Murder: 2.5 lakh Rupess spent in Per hour by Mastram | Patrika News
कोटा

मां-बेटी की नृशंस हत्या: पैसा उड़ाने में रईसजादों से भी आगे निकला मस्तराम, पढि़ए प्रतिघंटे कितने खर्च किए पैसे

मां-बेटी का हत्या मस्तराम ने लूटी गई रकम को खर्च करने में रईसजादों को भी पीछे छोड़ दिया। उसने प्रतिघंटे इतने रुपए खर्च किए की हिसाब लगाया तो लोग चौंक गए।

कोटाFeb 05, 2019 / 10:54 pm

​Zuber Khan

Mother-Daughter Murder Case

मां-बेटी की नृशंस हत्या: पैसा उड़ाने में रईसजादों से भी आगे निकला मस्तराम, पढि़ए प्रतिघंटे कितने खर्च किए पैसे

कोटा. मां-बेटी की नृशंस हत्या करने के चौथे दिन मस्तराम चांदमल विजय के घर शोक संवेदना व्यक्त करने पहुंचा था। डबल मर्डर करने के बाद भी बैखोफ रविवार को वह अपने छोटे भतीजे के साथ चांदमल के घर पहुंचा और घडिय़ाली आंसू बहाकर चला गया। राजेन्द्र विजय ने बताया कि रविवार को मस्तराम करीब 4 बजे घर आया था। वह मेरे सामने रोने लग गया और कहा कि ऐसे कैसे हो गया, भाईसाहब…यह क्या हो गया…। जब मस्तराम आया तब सीआई व तीन अन्य जवान मौजूद थे। सीआई ने सिपाहियों से उसे नीचे ले जाने के लिए कहा। वह करीब मेरे पास दो से तीन मिनट बैठा था।
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ऐसे पकड़ा गया
पुलिस सूत्रों ने बताया कि 3 फरवरी की रात करीब 8 बजे मुखबिर से कांस्टेबल शिवराज को सूचना मिली कि तीरथ गांव निवासी मस्तराम मीणा ने 70 हजार का नया मोबाइल खरीदा है और खर्च भी खूब कर रहा है। इस सूचना पर शिवराज ने सीआई को बताया कि मुझे मां-बेटी हत्याकांड में कुछ सूचना मिली है, मैं वहां जाकर आ रहा हूं। इसके बाद शिवराज, अशोक सिंह, सुरेश, लेखराज व बलवीर सिंह दो मोटरसाइकिलों से 9 बजे तीरथ पहुंचे। इन लोगों ने वहां उसका मकान पता किया और उसकी गतिविधियों पर नजर रखने के बाद जब वह अपने घर में घुसा तो पुलिस ने उसे पकड़ लिया। पांच जवान उसे पकड़कर करीब 10.30 बजे थाने ले आए। पूछताछ में उसने बताया कि वह करोड़पति बनना चाहता था। इसके लिए उसने लोकेश मीणा के सहयोग से वारदात को अंजाम दिया।
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प्रति घंटे 3420 रुपए खर्च किए

पुलिस सूत्रों ने बताया कि वारदात करने से लेकर पकड़े जाने के बीच (72 घंटों में) आरोपियों ने लूट की रकम में से तीन जनवरी रात आठ बजे तक करीब ढाई लाख रुपए खर्च कर दिए। पुलिस सूत्रों ने बताया कि आरोपी मस्तराम व लोकेश हत्या व लूट के बाद सीधे जयपुर पहुंचे। वहां दोनों ने महंगे मोबाइल खरीदे।
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दोबारा आया था नौकरी मांगने

राजेन्द्र विजय ने बताया कि मस्तराम करीब दो साल पहले मेरे पास नौकरी करता था। नौकरी करने के डेढ़ महीने में वह किसी लड़की को भगाकर ले गया था, उसके बाद वह वापस नहीं लौटा। उन्होंने बताया कि मुझे नहीं पता कि लड़की गांव से भगाई थी या कोटा से, मैंने केवल ऐसा सुना था। विजय ने बताया कि करीब 4-5 महीने पहले वह वापस आया और नौकरी पर रखने के लिए कहा, लेकिन मेरे पास अन्य लड़का काम कर रहा था, इसलिए उसे मैंने मना कर दिया।
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मजदूरी व खेती कर रहे थे दोनों
पुलिस ने बताया कि मस्तराम खेती के साथ छोटी-मोटी मजदूरी का काम भी कर लेता था। लोकेश आरसीसी का काम करता था। बड़ी रकम मिलने के लालच में वह भी वारदात को अंजाम देने में मस्तराम का सहयोगी बन गया।

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