ऐसे पकड़ा गया
पुलिस सूत्रों ने बताया कि 3 फरवरी की रात करीब 8 बजे मुखबिर से कांस्टेबल शिवराज को सूचना मिली कि तीरथ गांव निवासी मस्तराम मीणा ने 70 हजार का नया मोबाइल खरीदा है और खर्च भी खूब कर रहा है। इस सूचना पर शिवराज ने सीआई को बताया कि मुझे मां-बेटी हत्याकांड में कुछ सूचना मिली है, मैं वहां जाकर आ रहा हूं। इसके बाद शिवराज, अशोक सिंह, सुरेश, लेखराज व बलवीर सिंह दो मोटरसाइकिलों से 9 बजे तीरथ पहुंचे। इन लोगों ने वहां उसका मकान पता किया और उसकी गतिविधियों पर नजर रखने के बाद जब वह अपने घर में घुसा तो पुलिस ने उसे पकड़ लिया। पांच जवान उसे पकड़कर करीब 10.30 बजे थाने ले आए। पूछताछ में उसने बताया कि वह करोड़पति बनना चाहता था। इसके लिए उसने लोकेश मीणा के सहयोग से वारदात को अंजाम दिया।
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प्रति घंटे 3420 रुपए खर्च किए पुलिस सूत्रों ने बताया कि वारदात करने से लेकर पकड़े जाने के बीच (72 घंटों में) आरोपियों ने लूट की रकम में से तीन जनवरी रात आठ बजे तक करीब ढाई लाख रुपए खर्च कर दिए। पुलिस सूत्रों ने बताया कि आरोपी मस्तराम व लोकेश हत्या व लूट के बाद सीधे जयपुर पहुंचे। वहां दोनों ने महंगे मोबाइल खरीदे।
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दोबारा आया था नौकरी मांगने राजेन्द्र विजय ने बताया कि मस्तराम करीब दो साल पहले मेरे पास नौकरी करता था। नौकरी करने के डेढ़ महीने में वह किसी लड़की को भगाकर ले गया था, उसके बाद वह वापस नहीं लौटा। उन्होंने बताया कि मुझे नहीं पता कि लड़की गांव से भगाई थी या कोटा से, मैंने केवल ऐसा सुना था। विजय ने बताया कि करीब 4-5 महीने पहले वह वापस आया और नौकरी पर रखने के लिए कहा, लेकिन मेरे पास अन्य लड़का काम कर रहा था, इसलिए उसे मैंने मना कर दिया।
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मजदूरी व खेती कर रहे थे दोनों
पुलिस ने बताया कि मस्तराम खेती के साथ छोटी-मोटी मजदूरी का काम भी कर लेता था। लोकेश आरसीसी का काम करता था। बड़ी रकम मिलने के लालच में वह भी वारदात को अंजाम देने में मस्तराम का सहयोगी बन गया।