दिल्ली हावड़ा रूट पर रोही क्रासिंग के बगल में बने ओवर ब्रिज को उत्तर प्रदेश राज्य सेतु निगम ने बनाया था। 35 करोड़ 26 लाख रुपए की लागत से बनाए गए पुल को मार्च 2018 में आम जनता के लिए खोला गया। जिस समय पुल का निर्माण किया जा रहा था उसी समय स्थानीय लोगों ने जिला प्रशासन से लेकर जनप्रतिनिधियों तक अनियमितता की शिकायत किया था। इसके बाद भी किसी ने जांच करना मुनासिब नहीं समझा। लगभग डेढ़ साल में ही पुल जिस तरह से क्षतिग्रस्त हुआ है उससे साफ जाहिर है लोगों के शिकायत निराधार नहीं थे। सवाल यह उठता है कि पुल के क्षतिग्रस्त होने का असली जिम्मेदार कौन है? निर्माण करने वाली संस्था या फिर जिले के वह अधिकारी जिन्होंने इस पुल को हैंडओवर लिया। अब देखने वाली बात यह होगी कि जांच किसे सौंपी जाएगी और कब पूरी होगी। सबसे बड़ा सवाल यह कि दोषियों के खिलाफ ऐसी कार्रवाई कब तक की जाएगी।
सांसद ने सपा शासनकाल पर फोड़ा ठीकरा भाजपा सांसद विनोद सोनकर ने अनियमितता का ठीकरा सपा सरकार पर फोड़ा है। उन्होंने कहा कि पुल निर्माण में अनियमितता बरती है है। इनकी उच्च स्तरीय जांच करवा दोषियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही कराएंगे। जबकि पुल को भाजपा शासनकाल में हैंडओवर किया गया है। पुल चालू भी भाजपा शासनकाल में हुआ है। ऐसे में सवाल यह कि जब पुल का निर्माण सही तरीके से नही हुआ तो भाजपा शासनकाल में अधिकारियों ने अपने हैंडओवर कैसे कर लिया। डीएम मनीष कुमार वर्मा ने भी माना कि पुल निर्माण में अनियमितता बरती गई है। फिलहाल जांच कमेटी बना दी गई है। रिपोर्ट आने पर कार्यवाही की जाएगी।