कथलटली गाँव के लोगों ने देखा कि बाहर निकल रहे भूगर्भीय लाल तरल पदार्थ के संपर्क में आने से धातु और बिजली के खंभे भी पिघल रहे, जिससे आसपास के गावों में सनसनी फेल गई। राज्य के त्रिपुरा अन्तरिक्ष प्रयोग केंद्र (टीएसएसी) के वैज्ञानिकों की एक टीम कथलटली गाँव में पहुँच कर इस घटना और लाल तरल लारवा जैसे पदार्थ, आग और धुआं निकलने के कारणों का परीक्षण कर पता लगाया कि उस जगह में निकल रहे लारवा में मोलटेन रॉक जैसे पदार्थों की मौजूदगी हैं। टीएसएसी के भू वैज्ञानिक अविसेक चौधुरी के नेतृत्व में टीम ने उस जगह से निकल रहे पदार्थों के नमूने ले लिया हैं और जल्द ही इसका भूरासायनिक परीक्षण किया जाएगा। पिछले साल राज्य के दक्षिण भाग, बांग्लादेश के छित्तगोंग के पास सब्रूम गाँव में तीन बार ऐसा ही ज्वालामुखी लारवा जैसा पदार्थ बाहर निकला था।
अविसेक ने बीते साल हुयी इस प्रकार की अन्य तीन घटनायें के होने के बारे में बताया कि भूगर्भ से आग,जलता हुआ अंगारा जैसा लाल तरल पदार्थ, और अन्य पदार्थों का प्राय: बाहर निकलने का कारण यह हैं कि भूगर्भीय फ़ाल्ट-लाइन इस क्षेत्र से गुजरती हैं। इसके अलावा, इस क्षेत्र में भूगर्भीय टेक्टोनिक प्लटेस का विस्थापन जैसी प्रक्रिया के होने के फलस्वरूप भी बड़ी मात्रा में उपसतही ऊष्मा उत्पन्न होने कि वजह से भी इस प्रकार कि घटनायें हो जाती हैं। इस प्रकार की प्राकृतिक घटना त्रिपुरा राज्य के लिए चिंताजनक क्योंकि राज्य सहित पूर्वोत्तर क्षेत्र भूकंप संवेदनशील ज़ोन 5 में आता हैं। देश के साथ पूर्वोत्तर राज्य भूकंप वैज्ञानिकों के अनुसार दुनिया के 6वें भूकंप-संवेदनशील बेल्ट में आते हैं।