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पं. विवेक मुद्गल बताते हैं कि सोमवार को प्रातःकाल उठकर स्नान करें। घर के मंदिरों में रखे कान्हा जी को तैयार करें। नए वस्त्र पहनाएं। पीले फूलों की माला राधा कृष्ण को अर्पित करें। सामथ्र्य अनुसार व्रत करें। रात्रि 11 बजे स्नान करके विधि पूर्वक बाल गोपाल की पूजा अर्चना करें। रात्रि 12 बजे नंदलाल का अभिषेक करें। जन्म से पहले सालिगराम जी को खीरे से निकालकर पंचामृत से स्नान कराएं। जन्माष्टमी से लेकर छठ पूजा तक कान्हा जी को झूले पर विराजमान रहने दें। इसके बाद सिंहासन पर विराजमान करें। नवमीं चार सितंबर को दान देकर व्रत खोलें।
पं. विवेक मुद्गल बताते हैं कि सोमवार को प्रातःकाल उठकर स्नान करें। घर के मंदिरों में रखे कान्हा जी को तैयार करें। नए वस्त्र पहनाएं। पीले फूलों की माला राधा कृष्ण को अर्पित करें। सामथ्र्य अनुसार व्रत करें। रात्रि 11 बजे स्नान करके विधि पूर्वक बाल गोपाल की पूजा अर्चना करें। रात्रि 12 बजे नंदलाल का अभिषेक करें। जन्म से पहले सालिगराम जी को खीरे से निकालकर पंचामृत से स्नान कराएं। जन्माष्टमी से लेकर छठ पूजा तक कान्हा जी को झूले पर विराजमान रहने दें। इसके बाद सिंहासन पर विराजमान करें। नवमीं चार सितंबर को दान देकर व्रत खोलें।
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नंदलाल के अभिषेक में दूध, दही, शहद, गंगाजल, देशी घी का प्रयोग करें। अभिषेक के बाद माखन, मिश्री, खीर, ककड़ी, आटे की पंजीरी, धनिए की पंजीरी से भोग लगाएं। भोग को परिवार के सभी सदस्यों व आस-पास के लोगों में बंटवाएं। उन्होंने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण के जन्म को विभिन्न नामों से जाना जाता है। जिसमें अष्टमी रोहिणी, कृष्ण जयंती, श्री जयंती, रोहिणी अष्टमी, कृष्ण अष्टमी, गोकुलाष्टमी प्रमुख हैं।
नंदलाल के अभिषेक में दूध, दही, शहद, गंगाजल, देशी घी का प्रयोग करें। अभिषेक के बाद माखन, मिश्री, खीर, ककड़ी, आटे की पंजीरी, धनिए की पंजीरी से भोग लगाएं। भोग को परिवार के सभी सदस्यों व आस-पास के लोगों में बंटवाएं। उन्होंने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण के जन्म को विभिन्न नामों से जाना जाता है। जिसमें अष्टमी रोहिणी, कृष्ण जयंती, श्री जयंती, रोहिणी अष्टमी, कृष्ण अष्टमी, गोकुलाष्टमी प्रमुख हैं।