जेटली ने कहा – एजेंडे में नहीं था पेट्रोल-डीजल
उनसे जब यह पूछा गया कि क्या बैठक में पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने पर विचार किया गया तो उन्होंने कहा, “यह एजेंडा में नहीं था।” कांग्रेस समेत राजनीतिक दल पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने की मांग कर रहे हैं ताकि उनपर लगने वाले करों में कमी हो, जिसके फलस्वरूप लोगों को पंप पर कम दर पर तेल मिलेगा। वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने गुरुवार को कहा कि गैर-जरूरी वस्तुओं का आयात कम करने और निर्यात को बढ़ावा देने के साथ-साथ देश में पेट्रोल और डीजल की खपत करना भी चालू खाता घाटा कम करने के लिए की जा रही पूरी कवायद का हिस्सा है।
पिछले साल की तुलना में जीएसटी संग्रह बेहतर
जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) संग्रह के आंकड़ों से संतुष्ट नजर आ रही सरकार ने शुक्रवार को कहा कि राज्य अपने राजस्व लक्ष्य को खुद से पूरा करने के रास्ते पर हैं, इसलिए उन्हें इसके लागू होने के पांच साल बाद केंद्र सरकार से मुआवजा मांगने की जरूरत नहीं होगी। जीएसटी परिषद की यहां हुई बैठक के बाद वित्तमंत्री जेटली ने कहा कि हरेक राज्य के आंकड़ों से यह दिख रहा है कि पिछले साल की तुलना में (अगस्त तक) जीएसटी संग्रह बेहतर हुआ है।
पांच साल से पहले ही शून्य हो जाएगा राज्यों को होने वाला नुकसान
उन्होंने कहा कि इस साल अगस्त जीएसटी के तहत राजस्व संग्रह के राज्यों के लक्ष्य में 13 फीसदी कमी दिख रही है, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 16 फीसदी था। उच्च उपभोग के आंकड़ों को देखते हुए कहा जा सकता है कि लक्ष्य में कमी का आंकड़ा अभी एक-दो फीसदी और कम होगा। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, “हम पांच साल की अवधि (जीएसटी लागू करने की) से पहले ही राज्यों को होने वाले नुकसान को शून्य पर ले आएंगे. और राज्य अपने राजस्व लक्ष्य को प्राप्त करने के करीब होंगे।”