1.जितना आपसे हो सके उतनी ही मात्रा में पूजन सामग्री लाएं। इस सामग्री में कुछ विशेष चीजें हैं जो मां लक्ष्मी को बहुत प्रिय हैं। मां लक्ष्मी को लाल व पीले रंग के रेशमी वस्त्र से बना चोला चढ़ाएं जो मां को बेहद प्रिय है।
2.पूजा के समय जमीन पर चौकी रखकर उसपर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं और उसपर लक्ष्मी गणेश की प्रतिमा स्थापित करें। एक कलश में पानी भरकर उसके ऊपर कलावा बंधा नारियल रखें और इस कलश को सीधी तरफ रखें।
3.मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की प्रतिमा पर सिंदूर का तिलक लगाएं इसके बाद अपने सिर को ढककर अपने माथे पर तिलक लगाएं। 4.मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की प्रतिमा के आगे घी का दिया जलाए और भगवान कि प्रतिमा पर फूल माला चढ़ाएं।
5.वैसे तो इस दिन नवग्रह पूजा का विशेष महत्व होता है लेकिन अगर आप अकेले रहते हैं और इस पूजा को नहीं कर सकते तो एक थाली के बीच मेें स्वास्तिक और ॐ बनाकर भी पूजा को आगे बढ़ा सकते हैं।
6.स्वास्तिक और ॐ सभी देवी-देवताओं का प्रतिक है। स्वास्तिक और ॐ के ऊपर लक्ष्मी गणेश की आकृति वाला चांदी का एक सिक्का रखें और उसपर फल,फूल, चावल, मिठाई और दक्षिणा रखकर भगवान को अर्पण करें।
7.पूजा करते समय हाथ में चावल, फूल और जल लेकर संकल्प करें और भगवान से हमेशा उनका आशिर्वाद बनाए रखने की प्रार्थना करें। 8.अगर हो सके तो घर को पवित्र करने के लिए इस मंत्र को बोलते हुए सारी पूजा सामग्री थाली में रखे चांदी के सिक्के पर चढ़ा दें। आपको मंत्र इस प्रकार से बोलना है-
ॐ पवित्रः अपवित्रो वा सर्वावस्थांगतोऽपिवा।
यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स वाह्यभ्यन्तर शुचिः॥
पृथ्विति मंत्रस्य मेरुपृष्ठः ग षिः सुतलं छन्दः
कूर्मोदेवता आसने विनियोगः॥ 9.इसके बाद पानी भरे और नारियल रखे कलश की पूजा करनी है और कलश पर स्वास्तिक बनाकर चावल चढ़ाने हैं।
यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स वाह्यभ्यन्तर शुचिः॥
पृथ्विति मंत्रस्य मेरुपृष्ठः ग षिः सुतलं छन्दः
कूर्मोदेवता आसने विनियोगः॥ 9.इसके बाद पानी भरे और नारियल रखे कलश की पूजा करनी है और कलश पर स्वास्तिक बनाकर चावल चढ़ाने हैं।
10. अब भगवान से हाथ जोड़कर और पैर छूकर अपनी किसी प्रकार की भूल की क्षमा मांगे और दिवाली का त्यौहार मनाएं।