scriptमहाशिवरात्रि के दिन से देवी-देवताओं को मेला मंडई में शामिल होने भेजा जाएगा निमंत्रण | Invitation to be sent of loards from Mahashivratri day | Patrika News

महाशिवरात्रि के दिन से देवी-देवताओं को मेला मंडई में शामिल होने भेजा जाएगा निमंत्रण

locationदंतेवाड़ाPublished: Feb 18, 2019 04:16:49 pm

आमंत्रित देवी देवताओं की अगुवाई विधिवत पूजा अर्चना के साथ की जाती है।

CG News

महाशिवरात्रि के दिन से देवी-देवताओं को मेला मंडई में शामिल होने भेजा जाएगा निमंत्रण

दंतेवाड़ा. रियासत काल से चली आ रही दक्षिण बस्तर की विश्व प्रसिद्ध फागुन मंडई आगामी 12 मार्च से शुरू होने जा रही है जो 22 मार्च को देवी-देवताओं की विदाई के साथ संपन्न होगी। फागुन मेले में क्षेत्र के करीब सैकड़ों गांव के पांच सौ से अधिक देवी देवता शामिल होने दंतेवाड़ा पहुंचते हैं।
महाशिवरात्रि के दिन परंपरानुसार अंचल के समस्त देव देवियों को मेला मंडई में शामिल होने हेतु निमंत्रण भेजा जाएगा। दंतेवाड़ा में आगामी 12 मार्च से शुरू होने वाले फागुन मंडई की तैयारी मंदिर समिति द्वारा शुरू कर दी गई है। दक्षिण बस्तर की प्रसिद्ध फागुन मंडई कई मायनों में काफी महत्वपूर्ण है। फागुन मंडई से बस्तर के आदिवासियों की अनेक रस्म और परपराएं जुड़ी होती है।
दंतेवाड़ा जिला आदिवासी बाहुल्य है इस कारण जनजाति संस्कृति से यह ओत-प्रोत जिला है। दस दिनों तक चलने वाली फागुन के संबंध में ऐसा माना जाता है कि इस दौरान माई दंतेश्वरी अपने सभी आमंत्रित देवी देवताओं के साथ होली उत्सव मनाती है। रियासलकाल से निरंतर मनाई जा रही फागुन मंडई में प्रति दिन अलग अलग रस्म अदा की जाती है जो अन्य स्थानों में मनायी जाने वाली मंडई मेला से भिन्नता को दर्शाती है। बस्तर के आदिवासियों की वास्तविक झलक को प्रदर्शित करने वाले इस फागुन मेला के शुरू होने के पूर्व कई रस्मों की अदायगी की परपरायें भी होती है। परंपरानुसार मेला आमंत्रण की रस्म सबसे पहले पुरी की जाती है। मेला प्रारंभ होने से एक हफते पूर्व महाशिवरात्रि के दिन मंदिर के प्रधान पुजारी द्वारा पढिय़ार को महुए के पत्ते में पुष्प, चावल, देकर अन्य गांवों के देवी देवताओं को आमंत्रण हेतु भेजा जाता है। तत्पश्चात आमंत्रित देवी देवताओं को ग्रामीणों द्वारा छत्र, छड़ी,ध्वज, चमर व नगाडों की गाजे बाजे के साथ लेकर दंतेवाड़ा पहुंचते हैं। आमंत्रित देवी देवताओं की अगुवाई विधिवत पूजा अर्चना के साथ की जाती है।
तत्पश्चात छत्र, ध्वज इत्यादि को मंदिर में रखा जाता है और फागुन मंडई के अंतिम दिन पादुका पूजन के पश्चात आमंत्रित देवी देवताओं की बिदाई पूर्ण रस्मों रिवाजों के साथ की जाती है।

मंदिर के प्रधान पुजारी हरेंद्र नाथ ने इस वर्ष शुरू होने वाले दस दिवसीय फागुन मंडई की तिथिवार जानकारी देते बताया कि इस वर्ष फागुन मेला 12 मार्च को फागुन शुक्ल षष्ठी तिथि दिन मंगलवार, प्रथम पालकी कलश स्थापना से प्रारंभ होगा। 13 मार्च बुधवार सप्तमी तिथि को ताडफलंगा धोनी रस्म, 14 मार्च को खोर खुदनी रस्म, 15 को नाच मांडनी रस्म, 16 को लम्हामार रस्म, 17 को कोडरीमार रस्म, 18 को चितलमार रस्म, 19 की रात में गंवरमार रस्म पश्चात 20 दिन बुधवार को आंवरामार, होलिका दहन व बड़ा मेला का आयोजन होगा। 21 मार्च गुरूवार प्रतिपदा को रंगभंग व पादूका पूजन होगा एवं 22 मार्च द्वितीया तिथि दिन शुक्रवार को आमंत्रित देवी-देवताओं की विदाई होगी। देवी देवताओं की विदाई के साथ ही 10 दिनों तक चलने वाला प्रसिद्ध फागुन मंडई का समापन होगा।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो