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दमोह

बाघों से सूना हुआ पन्ना टाइगर रिजर्व आज बाघों के पुर्नवास में अव्वल

टाइगर टी-3 और बाघिन टी-1 की पहली संतान से हुआ टाइगर रिजर्व आबाद

दमोहApr 12, 2019 / 07:06 pm

pushpendra tiwari

बाघ टी 3

बाघ टी 3

यूसुफ पठान मडिय़ादो. वर्ष 2009 में पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघ लगभग खत्म हो गए थे, लेकिन आज पन्ना टाइगर रिजर्व व उसके बफरजोन इलाके में लगभग 50 नर, मादा व शावक हो चुके हैं। पन्ना टाइगर रिजर्व के द्वारा हर साल 16 अप्रैल को बाघ का जन्म दिन मनाया जाता है, जिसके लिए तैयारियां जोरों से चल रही हैं।

वर्ष 2009 में बाघ विहीन हो चुके पन्ना टाइगर रिजर्व में तत्कालीन फील्ड डायरेक्टर आर श्रीनिवास मूर्ति के अथक प्रयास का नतीजा है कि आज एक बार फिर पन्ना टाइगर रिजर्व बाघों के पुनर्वास कार्यक्रम में इतने कम समय में इतना अधिक सफल होने वाला टाइगर रिजर्व पहला टाइगर रिजर्व बन गया है।

टी-3 को रास नहीं आया था रिजर्व का इलाका


बाघ विहीन पन्ना टाइगर रिजर्व को आबाद करने के मकसद से मार्च 2009 में दो बाघिनों को एक बांधववगढ़ टाइगर रिजर्व से और एक कान्हा टाइगर रिजर्व से पन्ना लाया गया था। इसके बाद 6 नवंबर 2009 को पेंच टाइगर रिजर्व से एक बाघ लाया गया ताकि उन दो बाघिनों से संसर्ग करवाकर बाघों की संख्या बढ़ाई जा सके। बाघ को रेडियो कॉलर लगाया गया और नौ दिन के बाद पन्ना टाइगर रिजर्व में छोड़ दिया गया था। लेकिन वह बाघ 10 दिन बाद पीटीआर की सीमा से निकलकर वापस पेंच टाइगर रिजर्व की ओर भाग निकला था। इस बाघ को टी-3 नाम दिया गया था। इसे बड़ी मेहनत के बाद 25 दिसंबर 2009 को दमोह जिले में तेजगढ़ के जंगल से पकड़ा गया था और वापस लाया जा सका।

यह तकनीक अपनाई गई, जो हुई कारगर साबित
बाघ को बाघिनों से मिलाने के लिए देशी तकनीक प्रयोग की गई। यहां के जागरूक कर्मचारियों ने एक अनोखी तकनीक अपनाई। उन्होंने बाघिन की गंध को उस इलाके में फैला दिया जहां बाघ को छोड़ा जाना था। यह इलाका बांधवगढ़ से लाई गई बाघिन टी-1 का था। एक बार फिर दिसंबर 2009 को बाघ टी-३ को पन्ना टाइगर रिजर्व में छोड़ दिया गया और बाघ ने बाघिन की गंध को संूघते हुए बाघिन के प्रति आकर्षित हो गया था। नतीजा यह हुआ कि 16 अप्रैल को टी-1 ने पहली बार चार शावकों को जन्म दिया। हालांकि उन चार शावकों में दो की किसी करणवश मौत हो गई थी और दो बच गए। यह पन्ना टाइगर रिजर्व के लिए बढ़ी सौगात थी, तभी से तत्कालीन फील्ड डायरेक्टर आर श्रीनिवास मूर्ति के द्वारा बाघ के जन्मोत्सव मनाएं जाने की परंपरा शुरू की थी जो आज भी चल रही है।
पन्ना टाइगर रिजर्व इन दिनों बाघ के जन्मोत्सव मनाने की तैयारी में जुट गया है। जन्मोत्सव मड़ला स्थित कर्णावती प्रकृति व्याया केंद्र में शाम पांच बजे से मनाया जाएगा। जिसके लिए लिए पन्ना टाइगर रिजर्व सहित उसके बफर जोन क्षेत्र में वन तैयारी चल रही है।

वर्जन


पन्ना टाइगर रिजर्व में परंपरा के अनुसार हर साल 16 अप्रैल को बाघ का जन्मोत्सव मनाया जाता है, यह आयोजन मड़ला के कर्णावती प्रकृति व्याया केंद्र में आयोजित होगा। आयोजन की तैयारी की जा रही हैं।
केएस भदौरिया, फील्ड डायरेक्टर पन्ना टाइगर रिजर्व

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