जानकारी के मुताबिक, बाल्मीकि समाज से तालुक रखने वाली सावित्री देवी गांव में कूड़ा-कचरा उठाने का काम करती है। हर दिन की तरह 15 अक्टूबर को सुबह 9 बजे वो घर-घर जाकर कूड़ा उठा रही थी। सावित्री अंजू नामक सवर्ण जाति की महिला के घर के बाहर कचरा लेने के लिए खड़ी थी। उसी दौरान उसके पास से एक रिक्शा गुजर गया, जिससे उसका संतुलन बिगड़ गया और वो पास में रखी अंजू की बाल्टी से गलती से जा टकराई। फिर क्या था, अंजू भड़क गई और दलित महिला सावित्री को बाल्टी अशुद्ध करने के लिए बेइज्जत करने लगी। बात इतनी बढ़ गई कि अंजू ने सावित्री की पिटाई शुरू कर दी। अंजू सारी इंसानियत को भूलकर गर्भवती सावित्री के पेट पर जमकर घूंसे मारने शुरू कर दिए और उसका सिर दीवार पर दे मारा। सावित्री छोड़ने की लाख मिन्नतें करती रही, लेकिन अंजू नहीं मानी और लगातार उसे मारती रही। कुछ देर बाद अंजू का बेटा रोहित भी वहां पहुंच गया और लाठी-डंडों से सावित्री को पीटना शुरू कर दिया। इस घटना के दौरान सावित्री की 9 साल की बेटी मनीषा साथ थी। अपनी मां को पिटता देखा मनीषा दलित बस्ती में मदद के लिए दौड़ी। इसके बाद बस्ती से कुछ महिलाएं मनीषा के साथ मौके पर पहुंचे, उस वक्त भी अंजू और उसका बेटा सावित्री की बुरी तरह पिटाई कर रहे थे। किसी तरह बस्ती की महिलाओं ने सावित्री को उनके चंगुल से छुड़ाया और उसे घर लेकर आए। गंभीर हालत में सावित्री को अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन 6 दिन बाद सावित्री और उसके गर्भ में पल रहे आठ महीने के बच्चे की मौत हो गई।
फरार हैं आरोपी इधर, घटना की सूचना पुलिस को दी गई। पुलिस ने दलित महिला के साथ मारपीट करने वाली अंजू और उसके लड़के के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट और दूसरी धाराओं में मामला दर्ज कर लिया है। मगर आरोपी महिला और उसका लड़का दोनों फरार चल रहे हैं। सिटी एसपी प्रवीन रंजन के मुताबिक, कोतवाली देहात में मामला दर्ज कराया गया हैं। उन्होंने बताया कि महिला की मौत के बाद इस में धारा 304 (ए) और अनुसूचित जाति-जनजाति की धाराऐं बढाई गई है।