पर्व का शुभ मुहूर्त: सोमवार सुबह 08:36 से प्रारंभ होगा और 14 तारीख प्रातः 05 बजकर 45 मिनट पर समाप्त होगा। वहीं पंडित शर्मा का कहना है कि यदि आप भी हरियाली तीज पर व्रत रख रही हैं तो पूजा की आवश्यक सामग्री और पूजा विधि के बारे में जरूर जान लें…
पूजा के लिए जरूरी सामग्री :
बेल पत्र, केले के पत्ते, धतूरा, अंकव पेड़ के पत्ते, तुलसी, शमी के पत्ते, काले रंग की गीली मिट्टी, जनैव, धागा और नए वस्त्र। माता पार्वती के श्रृंगार के लिए जरूरी सामग्री:
चूडियां, महौर, खोल, सिंदूर, बिछुआ, मेहंदी, सुहाग पूड़ा, कुमकुम, कंघी, सुहागिन के श्रृंगार की चीज़ें।
इसके अलावा श्रीफल, कलश,अबीर, चंदन, तेल और घी, कपूर, दही, चीनी, शहद ,दूध और पंचामृत आदि।
पूजा करने की विधि-
सुबह उठ कर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करने के बाद मन ही मन पूजा करने का संकल्प लें और ‘उमामहेश्वरसायुज्य सिद्धये हरितालिका व्रतमहं करिष्ये’ मंत्र का जाप करें।
पूजा शुरू करने से पहले काली मिट्टी के प्रयोग से भगवान शिव और मां पार्वती तथा भगवान गणेश की मूर्ति बनाएं। फिर थाली में सुहाग की सामग्रियों को सजा कर माता पार्वती को अर्पित करें। ऐसा करने के बाद भगवान शिव को वस्त्र चढ़ाएं। उसके बाद तीज की कथा सुने या पढ़ें।
फिर गणेश जी की आरती करने के बाद शिव जी और मां पार्वती की आरती करें। रातभर जागें और अगले दिन सुबह तीनों भगवान की पूजा कर के मां पार्वती को सिंदूर अर्पित करें। फिर भगवान को खीरा और हलवा अर्पित कर के खुद का व्रत खीरा खा कर खोल दें।
हरियाली तीज व्रत कथा…
हरियाली तीज 2018 व्रत कथा हर सुहागिन महिलाओं के लिए सर्वाधिक महत्व रखता है। इस व्रत महिलाएं सावन (श्रावण) माह के शुक्ल पक्ष की तृतीय को रखती हैं। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और भगवान शिव और पार्वती जी की पूजा का विधान है। मान्यता यह मानी जाती है कि इस दिन शिव पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था। इसको छोटी तीज या श्रावण तीज के नाम से भी जाना जाता है।
हरियाली तीज 2018: हरियाली तीज व्रत-कथा…
यह माना जाता है कि इस कथा को भगवान शिव ने पार्वती जी के पिछले जन्म को याद दिलाने के लिए सुनाया था कथा कुछ इस प्रकार है –शिव जी कहते हैं -हे पार्वती ! बहुत समय पहले की बात है तुमने मुझे वर के रुप में पाने के लिए हिमालय पर घोर तप किया था।
तपस्या के दौरान तुमने अन्न-जल त्यागकर सूखे पत्ते चबाकर दिन व्यतीत किए थे। किसी भी चीज की परवाह किए बिना तुमने लगातार तप किया था। तुम्हारी इस स्थिति को देखकर तुम्हारे पिता बहुत दुखी हुए और मुझसे बहुत नाराज थे।
ऐसी स्थिति में नारद जी तुम्हारे घर पधारे। जब तुम्हारे पिता ने नारद जी से उनके आने का कारण पूछा तो नारद जी बोले – हे गिरिराज ! मैं भगवान विष्णु के भेजने पर यहां आया हूं।
आपकी कन्या घोर तपस्या में लीन है जिससे प्रसन्न होकर वह विवाह करना चाहते हैं। इस बारे में मैं आपकी राय जानना चाहता हूं। नारद जी की बात सुनकर पर्वतराज को अति प्रसन्नता हुई और बोले हे नारद जी यदि स्वयं भगवान विष्णु मेरी कन्या से विवाह करना चाहते हैं तो इसमें मुझे क्या आपत्ति होगी।
यह तो बहुत बड़ी बात है। मैं इस विवाह के लिए तैयार हूं। भगवान शिव माता पार्वती जी से आगे की कथा में कहते हैं कि नारद जी तुम्हारे पिता की स्वीकृति पाकर विष्णु जी के पास गए और यह शुभ समाचार सुनाया।
लेकिन जब तुम्हें इस विवाह के बारे में पता चला तो तुम्हें बहुत दुख हुआ।
तुम तो मुझे यानि कैलाश पति को मनसे अपना पति मान चुकी थी। तुम्हारा मन व्याकुल हो गया और तुमने यह बात अपनी सहेली को बताई।
तुम्हारी सहेली ने तो मैं सुझाव दिया कि तुम्हें एक घनघोर वन में ले जाकर छुपा देगी और वहां रहकर तुम शिव जी को प्राप्त करने की साधना करना। इसके बाद जब तुम घने वन में तपस्या करने चली गई तो तुम्हारे पिता ने घर में आकर देखा और वह बहुत दुखी हुए।
सोचने लगे कि यदि विष्णु जी बरात लेकर आएंगे तो मैं उनको क्या मुंह दिखाऊंगा। उन्होंने तुम्हारी खोज में धरती पाताल एक करवा दिए,लेकिन तुम नहीं मिल सकी। तुम जंगल में एक गुफा के भीतर मेरी आराधना में लीन थी।
सावन शुक्ल पक्ष तृतीया को तुमने रेत से एक शिवलिंग का निर्माण किया। इसके बाद मेरी आराधना की जिस से प्रसन्न होकर मैंने तुम्हारी मनोकामना पूर्ण की। इसके बाद तुमने अपने पिता से कहा पिताजी मैंने अपने जीवन का लंबा समय भगवान शिव की तपस्या में बिताया है।
और तुमने अपने पिताजी से कहा कि मैं आपके साथ एक ही शर्त पर चल सकती हूं वह शर्त यह है कि मेरा विवाह भगवान शिव से करेंगे। पर्वतराज तुम्हारी इस इच्छा को मान गए और तुम्हें घर वापस ले आए।
कुछ समय बाद उन्होंने पूरे विधि-विधान से हमारा विवाह किया। भगवान शिव ने इसके बाद बताया कि हे! पार्वती, सावन शुक्ल तृतीया को तुमने मेरी आराधना के दौरान जो व्रत किया था, उसके परिणाम स्वरुप हम दोनों का विवाह संभव हो सका है।
इस व्रत का महत्व यह है कि मैं इस व्रत को पूर्ण निष्ठा से करने वाली प्रत्येक स्त्री को मन वांछित फल देता हूं। भगवान शिव ने आगे कहा जो भी स्त्री इस व्रत को पूर्ण निष्ठा से और श्रद्धा से करेगी तो उसे तुम्हारी तरह अचल सुहाग प्राप्त होगा।
पूजा का मुहूर्त और समय…
सुहाग की लंबी उम्र की कामना वाला व्रत ‘हरियाली तीज 13 अगस्त 2018 को है, छोटी तीज या कजली तीज के नाम से जाने वाला व्रत अपने साथ कई उमंग और आशाएं लेकर भी आता है और इसी वजह से सुहागिनों को इस पर्व का काफी इंतजार रहता है।
हरियाली तीज का शुभ मुहूर्त सोमवार सुबह 08:36 से प्रारंभ हो जाएगा और समापन 14 तारीख प्रातः 05 बजकर 45 मिनट पर होगा जाएगा। इस शुभ मुहूर्त में ही व्रत करने वाली महिलाओं को शिव जी और माता पार्वती की पूजा अर्चना करनी चाहिए। भविष्यपुराण में उल्लेख किया गया है कि तृतीय के व्रत और पूजन से सुहागन स्त्रियों का सौभाग्य बढ़ता है और कुंवारी कन्याओं के विवाह का योग प्रबल होकर मनोनुकूल वर प्राप्त होता है।