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#राजस्थान_का_रण : चुनाव आए तो वीरान मण्डी को गुलजार करने की याद आई, राज्यमंत्री बोले- जरूरत पडऩे पर मुख्यमंत्री से भी करेंगे चर्चा

locationबांसवाड़ाPublished: Sep 12, 2018 02:21:58 pm

Submitted by:

Ashish vajpayee

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#राजस्थानकारण : चुनाव आए तो वीरान मण्डी को गुलजार करने की याद आई, राज्यमंत्री बोले- जरूरत पडऩे पर मुख्यमंत्री से भी करेंगे चर्चा

बांसवाड़ा. चुनाव नजदीक आए तो दशकों से वीरान पड़ी कृषि उपज मण्डी समिति बांसवाड़ा को एक बार फिर गुलजार करने की याद आई। इसके लिए राज्यमंत्री धनसिंह रावत मंगलवार की सुबह दाहोद रोड स्थित मण्डी पहुंचे और वहां पौधरोपण के साथ मण्डी का निरीक्षण किया। इसके बाद सूने पड़े किसान भवन में व्यापारियों के साथ मिलकर मण्डी के संचालन का राग अलापा। साथ ही कहा कि इसी माह पांच व्यापारियों एवं मण्डी सचिव को साथ लेकर जयपुर जाएंगे और इस संदर्भ में कृषि मंत्री से बात कर व्यापार शुरू करने के प्रयास किए जाएंगे। जरूरत पडऩे पर मुख्यमंत्री से चर्चा की जाएगी। कानूनी अड़चनों के बारे में भी चर्चा की जाएगी। वहीं व्यापारियों ने भी अपनी बातें रखी।
दशकों से चल रहा है मण्डी विवाद
मण्डी परिसर का निर्माण वर्ष 1980-81 में जब यहां कुल 90 दुकानें थी। फुटकर दुकान दस व पांच सामान्य गोदाम का निर्माण मूलभूत सुविधाओं से युक्त था। वर्ष 1983-84 में प्रथम चरण में निर्मित दुकानों की आवंटन प्रक्रिया शुरू हुई, जिसमें 35 आवंटियों ने अग्रिम राशि जमा कराई, लेकिन कुछ व्यापारियों ने ही दुकानों का कब्जा लिया। शेष आवंटियों ने मण्डी परिसर में व्यवसाय नहीं करने व नियमित रूप से किराया जमा नहीं कराने से मण्डी ने शेष दुकानों का आवंटन निरस्त कर दिया। वर्ष 2008 में मण्डी समिति द्वारा किए जा रहे व्यापार स्थानांतरण एवं रिक्त दुकानों के आवंटन की कार्रवाई को चुनौती देते हुए जिले के कतिपय व्यापारियों ने याचिका प्रस्तुत की जिसके तहत न्यायालय ने अप्रेल 2008 को एक विस्तृत आदेश जारी कर मण्डी में व्यवसाय शुरू करने के लिए संबंधित याचिकाकर्ताओं व मण्डी समिति को दिशा निर्देश प्रदान किए।
न्यायालय के आदेश पर मण्डी ने विभागीय आवंटन नीति अनुसार आवेदन आमंत्रित कर रिक्त दुकानों व गोदामों के आवंटन की कार्रवाई शुरू की। फरवरी 2012 में आवंटन समिति की बैठक में 38 पात्र व्यापारियों को दुकानें आवंटित कर सक्षम विभागीय अनुमोदन के बाद संबंधित आवंटियों को आवंटन राशि जमा कराने के लिए मांग पत्र जारी किए। लेकिन दो आवंटियों ने आवंटन राशि जमा करार्ई। शेष व्यापारियों ने आपत्ति दर्ज कराते हुए निर्मित दुकानों, गोदामों की स्थिति जर्जर एवं क्षतिग्रस्त होने से इनकी निर्माण लागत की गणना वर्तमान दर से नहीं की जाकर लागत में शिथिलता प्रदान कर इनकी लागत शून्य करने की मांग की और राशि जमा नहीं कराई।
राजस्व का नुकसान, आदेशों की प्रतीक्षा
बांसवाड़ा जिला खाद्य पदार्थ व्यापार संघ की ओर से मंत्री को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा गया। ज्ञापन में बताया गया कि गौरव यात्रा के दौरान व्यापारियों ने मण्डी के ठप पडऩे रहने से हो रही परेशानी से अवगत कराया गया था। इसके बाद व्यापारी प्रमुख शासन सचिव से नौ अगस्त को जयपुर जाकर मिले। उनके समक्ष सारी जानकारियां रखी गई। इस पर दो-तीन दिन में आदेश भिजवाने का आवश्वासन दिया गया थ। लेकिन एक माह गुजर जाने के बाद भी उच्च स्तर से किसी प्रकार का आदेश नहीं आया है। ज्ञापन में बताया गया कि इससे राजस्व का नुकसान भी बहुत हो रहा है। इस दौरान अध्यक्ष श्रीपाल जैन, सचिव सुमतिलाल सहित अन्य कई लोग उपस्थित थे।
बैठकों में निर्णय कुछ नहीं
मण्डी सचिव ने बताया कि 15 जून 2017 को व्यापारियों के साथ हुई बैठक में सहमति पर दुकानों की लागत वर्तमान निर्माण लागत के स्थान पर निर्माण वर्ष की वास्तविक लागत पर करने के प्रस्ताव निदेशालय भेजे गए। इस निर्णय अनुसार छह जून 2017 को दुकानों की निर्माण लागत की गणना वास्तविक निर्माण वर्ष की लागत अनुसार करने की स्वीकृति के लिए प्रस्ताव निदेशालय जयपुर भेजे। इस पर गठित कमेटी की अगस्त 2017 में बैठक हुई। इसमें दुकानों के क्षतिग्रस्त होने के कारण उपयोग संभव नहीं होने व दुकानों की लागत का निर्धारण निर्माण वर्ष की वास्तविक लागत के आधार पर करने की बात सामने आई।
इसके बाद और भी कई बैठके होने के साथ कई तरह के प्रस्ताव निदेशालय भेजे गए। लेकिन हाल ही सीएम यात्रा के दौरान व्यापारियों की ओर से मुख्यमंत्री को ज्ञापन दिया गया। इसके बाद विभागीय स्तर पर वार्ता जयपुर में हुई।वहां सहमति हुई कि कोर्ट केस विड्ऱो किए जाएंगे, जिस प्रक्रिया के तहत दुकानों का आवंटन हुआ है उसकी एक माह में राशि जमा करानी होगी। इसके अलावा नवंबर तक व्यापार शुरू करना होगा व प्रथम चरण में टर्न ओवर के आधार पर दुकानों का आवंटन होगा। इसके बाद यहां व्यापारियों ने प्रथम चरण के 38 दुकानदारों वे दूसरे 33 दुकानदारों को शामिल करने की बात रखी। इसके बाद यह बात निदेशालय पहुंची जहां से अभी कोई निर्णय नहीं आया है।
नोटिस तक पहुंचे
मण्डी ने आवंटियों को नोटिस भेजे लेकिन व्यापारियों ने आपत्ति दर्ज कराते हुए राशि जमा नहीं कराई। उक्त 38 आवंटियों में से 13 आवंटी फर्मों ने भूखण्ड की लागत 100 प्रतिशत डीएलसी में शिथिलता दिए जाने एवं दुकानों की निर्माण लागत कम करने के लिए न्यायालय में याचिका दायर की। 17 आवंटी फर्मों को मण्डी समिति ने नोटिस व अवसर दिए जाने के बाद भी आवंटन राशि जमा नहीं कराने पर इनके आवंटन निरस्त कर दिए गए। इसमें से 14 आवंटी फर्मों ने निदेशालय में अपील की।
वर्ष 2018-19 में ऑक्शन प्लेटफॉर्म होगा कवर्ड
कृषि उपज मण्डी सचिव संजीव पण्ड्या ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2018-19 में एक ऑक्शन प्लेटफॉर्म को कवर्ड कराने संबंधी निर्माण कार्य की स्वीकृत निदेशालय से जनवरी 2018 को प्राप्त हुई है। इस निर्माण के लिए करीब 36.61 लाख की स्वीकृति भी प्राप्त हो चुकी है। इससे प्लेटफॉर्म का निर्माण भी शुरू कर दिया गया है।
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