मण्डी परिसर का निर्माण वर्ष 1980-81 में जब यहां कुल 90 दुकानें थी। फुटकर दुकान दस व पांच सामान्य गोदाम का निर्माण मूलभूत सुविधाओं से युक्त था। वर्ष 1983-84 में प्रथम चरण में निर्मित दुकानों की आवंटन प्रक्रिया शुरू हुई, जिसमें 35 आवंटियों ने अग्रिम राशि जमा कराई, लेकिन कुछ व्यापारियों ने ही दुकानों का कब्जा लिया। शेष आवंटियों ने मण्डी परिसर में व्यवसाय नहीं करने व नियमित रूप से किराया जमा नहीं कराने से मण्डी ने शेष दुकानों का आवंटन निरस्त कर दिया। वर्ष 2008 में मण्डी समिति द्वारा किए जा रहे व्यापार स्थानांतरण एवं रिक्त दुकानों के आवंटन की कार्रवाई को चुनौती देते हुए जिले के कतिपय व्यापारियों ने याचिका प्रस्तुत की जिसके तहत न्यायालय ने अप्रेल 2008 को एक विस्तृत आदेश जारी कर मण्डी में व्यवसाय शुरू करने के लिए संबंधित याचिकाकर्ताओं व मण्डी समिति को दिशा निर्देश प्रदान किए।
बांसवाड़ा जिला खाद्य पदार्थ व्यापार संघ की ओर से मंत्री को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा गया। ज्ञापन में बताया गया कि गौरव यात्रा के दौरान व्यापारियों ने मण्डी के ठप पडऩे रहने से हो रही परेशानी से अवगत कराया गया था। इसके बाद व्यापारी प्रमुख शासन सचिव से नौ अगस्त को जयपुर जाकर मिले। उनके समक्ष सारी जानकारियां रखी गई। इस पर दो-तीन दिन में आदेश भिजवाने का आवश्वासन दिया गया थ। लेकिन एक माह गुजर जाने के बाद भी उच्च स्तर से किसी प्रकार का आदेश नहीं आया है। ज्ञापन में बताया गया कि इससे राजस्व का नुकसान भी बहुत हो रहा है। इस दौरान अध्यक्ष श्रीपाल जैन, सचिव सुमतिलाल सहित अन्य कई लोग उपस्थित थे।
मण्डी सचिव ने बताया कि 15 जून 2017 को व्यापारियों के साथ हुई बैठक में सहमति पर दुकानों की लागत वर्तमान निर्माण लागत के स्थान पर निर्माण वर्ष की वास्तविक लागत पर करने के प्रस्ताव निदेशालय भेजे गए। इस निर्णय अनुसार छह जून 2017 को दुकानों की निर्माण लागत की गणना वास्तविक निर्माण वर्ष की लागत अनुसार करने की स्वीकृति के लिए प्रस्ताव निदेशालय जयपुर भेजे। इस पर गठित कमेटी की अगस्त 2017 में बैठक हुई। इसमें दुकानों के क्षतिग्रस्त होने के कारण उपयोग संभव नहीं होने व दुकानों की लागत का निर्धारण निर्माण वर्ष की वास्तविक लागत के आधार पर करने की बात सामने आई।
मण्डी ने आवंटियों को नोटिस भेजे लेकिन व्यापारियों ने आपत्ति दर्ज कराते हुए राशि जमा नहीं कराई। उक्त 38 आवंटियों में से 13 आवंटी फर्मों ने भूखण्ड की लागत 100 प्रतिशत डीएलसी में शिथिलता दिए जाने एवं दुकानों की निर्माण लागत कम करने के लिए न्यायालय में याचिका दायर की। 17 आवंटी फर्मों को मण्डी समिति ने नोटिस व अवसर दिए जाने के बाद भी आवंटन राशि जमा नहीं कराने पर इनके आवंटन निरस्त कर दिए गए। इसमें से 14 आवंटी फर्मों ने निदेशालय में अपील की।
कृषि उपज मण्डी सचिव संजीव पण्ड्या ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2018-19 में एक ऑक्शन प्लेटफॉर्म को कवर्ड कराने संबंधी निर्माण कार्य की स्वीकृत निदेशालय से जनवरी 2018 को प्राप्त हुई है। इस निर्माण के लिए करीब 36.61 लाख की स्वीकृति भी प्राप्त हो चुकी है। इससे प्लेटफॉर्म का निर्माण भी शुरू कर दिया गया है।