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सीएम ने की घोषणा,कावेरी की नहरों में छोड़ा जाएगा पानी

locationबैंगलोरPublished: Aug 10, 2017 11:35:00 pm

कावेरी बेसिन क्षेत्र में सिंचाई के लिए पानी छोडऩे की मांग को लेकर महीने भर से आंदोलन कर रहे किसानों के दबाव में झुकते हुए

 CM Siddaramaiah

CM Siddaramaiah

बेंगलूरु. कावेरी बेसिन क्षेत्र में सिंचाई के लिए पानी छोडऩे की मांग को लेकर महीने भर से आंदोलन कर रहे किसानों के दबाव में झुकते हुए राज्य सरकार ने गुरुवार को क्षेत्र के सभी जल निकायों और नहरों में पानी छोडऩे का फैसला किया है।


बुधवार को आवासीय कार्यालय कृष्णा में इस मसले पर मण्ड्या जिले के विधायकों व सांसदों के साथ करीब दो घंटे तक चली बैठक के बाद मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या ने यह घोषणा की।


मुख्यमंत्री ने कहा कि कावेरी पर बने चारों बांधों- कृष्णराज सागर (केआरएस), हेमावती, हारंगी व कबिनी से सूखा प्रभावित मण्ड्या और हासन जिले के सभी जल निकायों और तालाबों के लिए पानी छोड़ा जाएगा। सिद्धरामय्या ने कहा कि पानी छोडऩे का प्राथमिक मकसद पेयजल जरुरतों को पूरा करना है।

इस पानी का उपयोग पशु और चारे के लिए भी किया जा सकता है लेकिन कृषि गतिविधियों के लिए इसका उपयोग नहीं किया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के अधिकांश जिलों में अब भी सूखे की स्थिति बनी हुई है और बारिश को लेकर सभी पूर्वानुमान गलत साबित हुए हैं। उन्होंने किसानों से कम पानी की जररुत वाले ज्वार और रागी की फसल करने की अपील करते हुए कहा कि इस साल धान और गन्ने की सिंचाई के लिए पानी नहीं दिया जाएगा लिहाजा किसान गन्ने की नई खेती या धान की बुवाई ना करें। किसानों को धान और गन्ने की खेती नहीं करने के लिए जागरुक करने के उद्देश्य से कृषि विभाग पर्चे छपवाकर बंटवाएगा।

सिद्धरामय्या ने कहा कि बैठक में सभी जनप्रतिनिधि सरकार के इस फैसले से सहमत थे। मैसूरु, मण्ड्या और हासन के जल प्रतिनिधियों के साथ १४ अगस्त को अगली बैठक होगी। बैठक के बाद मेलकोटु से कर्नाटक राज्य रैयत संघ के विधायक के. पुट्टणय्या ने कहा कि कावेरी बेसिन क्षेत्र में पेयजल और पशुचारा की जरुरतों को पूरा करने के लिए ११ टीएमसी पानी की जरुरत है। हेमावती बांध के जलग्रहण क्षेत्र में ७१५ तालाब और पोखर हैं जबकि केआरएस के जलग्रहण क्षेत्र में २१५ जल निकाय हैं। उन्होंने कहा कि हेमावती क्षेत्र से ७.५ टीएमसी, केआरएस से २-३ टीएमसी और हारंगी और कबिनी से १ टीएमसी पानी की जरुरत है। बैठक में जल संसाधन मंत्री एम बी पाटिल और कृषि मंत्री कृष्णाबैरे गौड़ा भी उपस्थित थे।

कम बारिश : धान और गन्ने की खेती नहीं करें किसान
चीनी का कटोरा कहे जाना वाला मण्ड्या जिला पिछले ४६ सालों में सबसे गंभीर सूखे की स्थिति का सामना कर रहा है। सरकार ने पानी छोडऩे के फैसले के साथ ही एक शर्त भी लगा दी है लेकिन किसान इससे खुश नहीं हैं।। मुख्यमंत्री ने किसानों से अपील की है कि वे इस साल कम बारिश होने के कारण धान या गन्ना, जैसे सिंचाई के लिए ज्यादा पानी की दरकरार वाली फसलें नहीं करेंगे।


उन्होंने कहा कि छोड़े जाने वाले पानी का इस्तेमाल अन्य फसलों के लिए मितव्ययता से किया जाना चाहिए। खरीफ की मौसम में जिले में 2.68 लाख एकड़ में धान, 40 हजार एकड़ में गन्ने की फसल तथा 5 लाख एकड़ भूमि में शुुष्क व अद्र्ध शुष्क फसलों की बुवाई की गई है, जिसके लिए कुल 95 टीएमसी फीट पानी चाहिए। सिद्धरामय्या ने कहा कि राज्य सरकार ने कावेरी जलग्रहण क्षेत्र में अगले सप्ताह कृत्रिम बारिश कराए जाने का प्रस्ताव है। उन्होंने साफ किया कि सूखे के कारण धान की फसलों को पहुंचने वाले नुकसान के लिए मुआवजा देने का सरकार के समक्ष कोई प्रस्ताव नहीं है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कावेरी बेसिन में पेयजल व भूगर्भीय जल स्तर को बढ़ाने के लिए तालाबों व पोखरों को पानी से भरा जाएगा और इसके लिए गुरुवार से ही चारों जलाशयों से नहरों में पानी छोड़ा जाएगा।

उन्होंने कहा कि तालाबों व पोखरों को भरने के लिए छोड़े जाने वाले पानी से ही फसलों सिंचाई का अवसर दिया गया है। गन्ना व धान की फसलों के लिए पानी नहीं दिया जाएगा। बारिश आधारित फसलें यानी रागी, ज्वार, मक्का, मूंगफली जैसी फसलों के लिए आवश्यक बीजों की आपूर्ति करने के बारे में कृषि विभाग कदम उठाएगा।


उन्होंने कहा कि कावेरी बेसिन के बांधों के जलग्रहण क्षेेत्रों में बारिश की कमी के कारण इन जलाशयों में पिछले 40 सालों में सबसे कम पानी एकत्रित हुआ है। उपलब्ध पानी का इस्तेमाल पेयजल व भूगर्भीय जल स्तर को बढ़ाने के लिए किया जाएगा। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में कावेरी के जलग्रहण क्षेेत्रों में अच्छी बारिश से बांधों में पानी की अच्छी आवक होती है तो सरकार के निर्णय में बदलाव आएगा और किसानों को भी खुशखबरी दी जाएगी।

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