क्या यह सिर्फ संयोग हो सकता है? क्या यह कोई जीवन चक्र है, जो इस सूरत में पूरा हुआ है? या जब आप पूरे खाली होकर अपना सर्वस्व झौंककर परमात्मा से कुछ मांगते हैं तो वो आपको ठीक उस चीज से भरता है, जिसकी कमी आपको है। एक खिलाड़ी का जीवन उसके दर्शकों से बंधा होता है। खेलते तो करोड़ों लोग हैं, लेकिन कुछ को दर्शकों का ऐसा प्रेम मिलता है कि उसके एक-एक कदम (रन पर) पर दर्शक तालियों से अभिवादन करते हैं। वो चाहते हैं कि वे जीवन भर उसे खेलते देखें। सामने वाली टीम उसे आउट तो करना चाहती है, पर मानती है कि खेल तो वो शानदार ही रहा है।
वो लोगों से मिलने मात्र के लिए लोकल ट्रेन से यात्रा कर रहा है। खुद कप्तान उसके लिए प्रार्थना कर रहा है। और बेशुमान उपलब्धियों के बाद भी उस का कहना है कि वो बेहद सीमित प्रतिभा का खिलाड़ी है। कभी सोचा भी नहीं था, कि यह मुकाम जिन्दगी में आएगा। क्रिकेट में सबसे कठिन फिल्ंिडग मानी जाती है स्लिप में। लेकिन उसके हाथ हमेशा स्लिप में दीवार की तरह रहे। हर तेज गेंदबाज चाहता है कि जब वो गेंदबाजी करे तो स्लिप में कुक ही खड़े हों। उनके साथी खिलाड़ी उनकी इन खूबियों के लिए उन्हें कुक के बजाए शेफ कहना पसंद करते हैं।
आमतौर पर जो खिलाड़ी मैदान में जैसा खेलता है, वो उसके चरित्र का परिचायक भी होता है। जिस खिलाड़ी को कभी गुस्सा नहीं आता है, तो सामान्यत: वह मैदान के बाहर भी शांतमना ही होता है। जो मैदान में प्रेमल है, वो रात 11 बजे एक लडक़ी को भोलेमन से व्हॉट्सएप्प पर मैसेज कर ही देता है हाय। प्रेमल ह्रदय का मैसेज चाहे व्हॉट्सएप्प पर ही हो, पहुंचता जरूर है। पांच साल बाद दोनों सगाई करते हैं। दूसरी ओर जो खेल में बेईमानी करते हैं, वे मैदान के बाहर भी बेईमानी (मैच फिक्सिंग) ही करते हैं।
ऐसे कई मनीषी दुनिया में हुए हैं, जिन्होंने अपने सिद्धांतों से साबित किया है कि प्रार्थनाएं सुनी जाती हैं। वो उसको कितना लाडला होगा, जिसकी विदाई ऐसी हो। मन पूरी तरह से प्रसन्न। आंखों में चमक मानों आज भी ठीक पहला ही मैच है। क्रिकेट को प्यार करने वाले तो कुक को सदा याद करेंगे ही, लेकिन खुद क्रिकेट भी उन्हें कभी नहीं भूल पाएगा।
प्रिय कुक बेस्ट ऑफ लक आपको। आपने हमें अपने खेल के जरिए जीवन में वो पल दिए जिनकी वजह से हमें कोई नशा करने की जरूरत नहीं पड़ी। हमने खेल का ठीक वैसा ही लुत्फ उठाया मानों खुद खेल रहे हों। आभार आपका।