यही वजह है कि अधिकतर उत्पाद जिनपर मेड इन चाइना लिखा होता है उससे होने वाली आय अमरीका पहुंचती है जबकि कुछ हिस्सा चीन को जाता है। चीन अमरीका का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है। कंपनियां अधिकतर सामान चीन से आयात करती हैं और इसका कारण है कम कीमत। वस्तुओं की कम कीमत उपभोक्ताओं को आकर्षित करती हैं। इसी का नतीजा है कि इसका मुनाफा भी कंपनियों और कामगारों को होता है। एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी के अर्थशास्त्री बार्ट हॉबीजन ने पाया कि 100 अमरीकी डॉलर (करीब 7000 रुपए) खर्च होते हैं तो 10 अमरीकी डॉलर (करीब 700 रुपए) दूसरों देशों को जाता है। ये आंकड़ा पिछले पंद्रह वर्षों से बदला नहीं है।
चीन में डिजाइनिंग पर खास काम नहीं
इसी तरह जो उत्पाद मेड इन यूएसए होते हैं उसमें भी विदेशी पुर्जों का इस्तेमाल होता है। अमरीका में तैयार होने वाले अधिकतर उत्पाद विदेशी कंपनियों की मदद से बनते हैं जिनको अंतिम रूप किसी अन्य देश में दिया जाता है। खुदरा व्यापारी चीन से उत्पाद लेने में अधिक दिलचस्पी दिखाते हैं क्योंकि चीन स्थानीय कामगारों को रोजगार देने के साथ रियल एस्टेट और बीमा जैसे क्षेत्रों में उनकी मदद करता है। चीन में उत्पादों की डिजाइनिंग को लेकर कुछ खास काम नहीं हुआ है। इसी का नतीजा है कि दुनिया की एक बड़ी स्मार्ट फोन कंपनी के फोन पर डिजाइन इन कैलीफोर्निया और एसेंबल्ड इन चाइना लिखा होता है। अमरीकी कंपनियां निर्माण क्षेत्र में सबसे आगे हैं। उत्पादों और पुर्जों के निर्माण के बाद एसेंबलिंग के लिए चीन भेज दिया जाता है क्योंकि अमरीका के पास उतने बड़ी संख्या में कामगार नहीं हैं जिससे वे तय समय में उत्पाद तैयार कर सकें। अमरीका ने बाजार से लेकर उत्पादों के वितरण तक पर पकड़ बना रखी है।
(वाशिंगटन पोस्ट से विशेष अनुबंध के तहत)