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राजा भैया ने 1993 में मात्र 24 साल की आयु में विधानसभा का चुनाव जीता था इसके बाद से अभी तक कुंडा से राजा भैया ही चुनाव जीतते आये हैं। राजा भैया की जीत में सबसे खास बात होती है कि उनके वोटों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। क्षत्रियों के अतिरिक्त अन्य सभी जातियों के लोग भी राजा भैया को वोट देते हैं। प्रतापगढ़ में राजा भैया जहां भी जाते हैं लोगों का उन्हें समर्थन मिलता है। ऐसे में प्रतापगढ़ की सीट से राजा भैया चुनाव लड़ते हैं तो हार व जीत दोनों ही मिल सकती है।
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संसदीय चुनाव में राजा भैया को बीजेपी व सपा से आराम से टिकट मिल सकता है। अखिलेश यादव की नाराजगी के बाद भी सपा किसी भी हाल में राजा भैया का साथ छोडऩा नहीं चाहेगी। सीएम योगी व राजा भैया के रिश्तों को लेकर आये दिन चर्चा होती रहती है ऐसे में राजा भैया को दोनों दल से टिकट मिल सकता है इसके बाद भी राजा भैया ने कभी संसदीय चुनाव लडऩे की बात नहीं की है। राजा भैया भी जानते हैं कि संसदीय चुनाव का समीकरण अलग होता है। यदि संसदीय चुनाव में किन्हीं कारणों से उन्हें हार मिलती है तो बाहुबली क्षत्रिय नेता के लिए यह बड़ा झटका होगा। यदि राजा भैया चुनाव जीत भी जाते हैं तो उन्हें कुंडा छोडऩा पड़ेगा। राजा भैया किसी भी हाल में कुंडा नहीं छोडऩा चाहते हैं इसलिए अभी तक संसदीय चुनाव से दूरी बनाये रखी है। संसदीय चुनाव २०१९ में एक बार फिर मैदान में राजा भैया के भाई अक्षय प्रताप सिंह मैदान में उतर सकते हैं, ऐसे में राजा भैया का संसदीय चुनाव लडऩा बेहद कठिन है।
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