scriptछात्रसंघ और छात्र परिषद की बजाय छात्र अब इस नए सलीके से सीखेंगे राजनीति का ककहरा | After Student union and council now District youth parliament | Patrika News

छात्रसंघ और छात्र परिषद की बजाय छात्र अब इस नए सलीके से सीखेंगे राजनीति का ककहरा

locationवाराणसीPublished: Jan 15, 2019 03:23:30 pm

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

बीएचयू को मिली बड़ी जिम्मेदारी।

BHU छात्रसंघ भवन

BHU छात्रसंघ भवन

वाराणसी. कभी राजनीति का ककहरा सीखने का साधन हुआ करते थे छात्रसंघ। इंटर कॉलेजों से लेकर महाविद्यालयों और यूनिविर्सिटीज में छात्रसंघों का हर साल गठन हुआ करता था। छात्रसंघों का अस्तित्व अब भी कायम है कई डिग्री कॉलेजों और यूनिवर्सिटीज में। लेकिन कई यूनिवर्सिटीज में छात्रसंघ का अस्तित्व प्रायः समाप्त कर दिया गया है। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की बात करें तो यहां छात्रसंघ की जगह छात्र परिषद के गठन की प्रक्रिया शुरू की गई थी। हालांकि यह पूरी तरह से छात्रों का संगठन नहीं रहा। कारण कि इसका अध्यक्ष अध्यापक होता था। वैसे बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में अंतिम बार 20111-12 में इस परिषद का गठन हुआ जिसके महासचिव बने थे विकास सिंह।
छात्रसंघ में जहां बतौर छात्र प्रतिनिधि अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और महामंत्री होते थे जिसका अंत बनारस हिंदू विश्वविद्यालय जैसी संस्था में 1997 के करीब अंत हो गया। उसके बाद अस्तित्व में आया छात्र परिषद। लिंगदोह समिति की सिफारिशों के आधार पर इसका गठन किया गया। इसमें पहले कक्षा प्रतिनिधि, फिर विभाग और संकाय प्रतिनिधि हुआ करते थे। संकाय प्रतिनिधिन ही विश्वविद्यालय स्तर पर महासचिव और आठ सचिव का चयन करते थे। अब तो उसका भी वजूद नहीं रहा। बीएचयू का छात्रसंघ भवन का नाम तक बदल कर छात्र परिषद कर दिया गया। वैसे महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ और संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में अभी छात्रसंघ का वजूद कायम है।
यहां बता दें कि वर्तमान में बीएचयू छात्रसंघ के कई पदाधिकारी हैं जिन्होंने राजनीति का ककहरा सीखा और उसके बाद से वो जनप्रतिनिधि बने। चाहे वर्तमान रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा हों या बलिया के सांसद भरत सिंह, सपा एमएलसी व उत्तर प्रदेश के मंत्री रहे शतरुद्र प्रकाश हों। एआईसीसी मेंबर अनिल श्रीवास्तव हों या उत्तर प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष डॉ राजेश मिश्र हों सभी बीएचयू छात्रसंघ नर्सरी के ही प्राडक्ट हैं।
लेकिन केंद्र सरकार की तैयारी अब पूरी तरह से छात्रसंघ व छात्र परिषद के वजूद को खत्म करने की है। इसकी जगह अब हर जिले में युवा संसद होगी। कहा जा रहा है कि संसदीय कार्य प्रणाली का ज्ञान कराने के उद्देश्य से यह होने जा रहा है। बताया जा रहा है कि इस युवा संसद के मार्फत युवाओं के विचारों को समुचित स्थान मिलेगा। उनके विचारों की अभिव्यक्ति के लिए उचित प्लेटफार्म मिल सकेगा
इस युवा संसद के लिए 24 से 28 जनवरी तक होने वाली स्क्रीनिंग की कमान काशी हिंदू विश्वविद्यालय को सौंपी गई है। इसके तहत युवाओं को 18 जनवरी तक अपना वीडियो यू-ट्यूब पर अपलोड कर आवेदन करना होगा। बीएचयू को नोडल डिजिटल स्क्रीनिंग केंद्र बनाया गया है। हालांकि सुल्तानपुर, अमेठी, भदोही, मीरजापुर, चंदौली व सोनभद्र में भी स्क्रीनिंग की जाएगी।
बताया जा रहा है कि युवाओं के व्यक्तित्व एवं कृतित्व को निखारने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने यह पहल की है। इसके तहत युवा संसद में भाग लेने के लिए युवा 18 जनवरी तक अपना डिजिटल पंजीकरण कराएंगे। नोडल संस्था में उनकी वाक इन स्क्रीनिंग की जाएगी। इसकी आयु सीमा 18 से 25 वर्ष तक रखी गई है। प्रतिभागी युवा डिजिटल माध्यम से 90 से 120 सेंकेड का वीडियो यूट्यूब पर अपलोड कर ‘माय जीओवी साइट पर अपना पंजीकरण कराएंगे। स्क्रीनिंग कर इसकी सूची नोडल केंद्र को मुहैया कराई जाएगी। ऑफ लाइन स्क्रीनिंग की जिम्मेदारी महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ को दी गई है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो