बाघों के लिए विश्व प्रसिद्ध बांधवगढ टाइगर रिजर्व के तराई के गांव में दुर्लभ वन्य जीव पेंगोलिन की तस्करी का सनसनीखेज मामला सामने आया है। पार्क प्रबंधन ने सुनियोजित तरीके से तस्करों के गिरोह को दो जीवित पेगोंलिन के साथ गिरफ्तार किया है। पार्क प्रबंधन ने खितौली रेंज के हर्रवाह ग्राम से एवं कटनी जिले के बरही से एक पेंगोलिन जब्त किया है। इस खुलासे को अंजाम तक पहुचाने के लिए पार्क प्रबंधन की स्पेशल टीम बीते दो सप्ताह से गांव में मुखबिरों के माध्यम से खाक छानने का काम कर रही थी। पार्क प्रबंधन को पूर्व से ही पेंगोलिन तस्करी की खबरें मिल रही थी, लेकिन पुख्ता सबूत न होने की दशा में कार्रवाई अंजाम तक नहीं पहुंच पा रही थी। पेंगोलिन तस्करी के रैकेट का पर्दाफाश करने में बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक मृदुल पाठक के निर्देशन, संयुक्त संचालक अनिल शुक्ला, उप संचालक ऋषि मिश्रा एवं रेंज अफसर खितौली एवं रेंज अफसर पनपथा की टीम बनाई गई। रेंज अफसरों ने तस्करी रैकेट में पेंगोलिन की दलाली करने वाले शंकर सिंह से खरीददार बनकर बात की और बीस लाख में पेंगोलिन का सौदा तय कर लिया। खरीदी करने के समय पर उसे गिरफ्तार किया है। इस पूरे मामले मे पार्क प्रबंधन ने अभी चारों आरोपियो क ो गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है अन्य की तलाश की जा रही है।
बंगाली डॉक्टर ने खोला राज
पार्क प्रबंधन को मुखबिरों से जानकारी मिली की कि इस गिरोह को उमरिया एवं कटनी जिले के बंगाली डाक्टरों के माध्यम से संचालित किया जा रहा है। पार्क के खितौली रेंज अंतर्गत ग्राम बकेली स्थित बंगाली दवा खाना चलाने वाले डाक्टर सुफल अधिकारी, डॉ. लखन उर्फ बापी विश्वास एवं कटनी जिले के हर्रवाह निवासी डॉ. सुनील राय के द्वारा ग्रामीणों को लालच देकर जंगल से पेगोंलिन की खरीदी की जाती थी, और शंकर सिंह निवासी सलखनिया द्वारा पेंगोलिन को बाजार में बड़ी कीमतों पर बेचा जाता था।
अंतर्राष्ट्रीय गिरोह से जुडे हैं तार
पार्क प्रबंधन के वरिष्ठ अधिकारियों की मानें तो पेंगोलिन तस्करी में पकड़े गये इस गिरोह के तार अंतर्राष्ट्रीय गिरोह से जुड़े हैं। इस गिरोह में स्थानीय स्तर से लेकर कटनी, डिण्डौरी, मण्डला, बालाघाट एवं अन्य कई प्रदेशों के तस्कर शामिल हैं। शुरूआती जांच में सामने आये आरोपियों के आधार पर मामले की और सूक्ष्म जांच की जा रही है। पार्क के अधिकारियो की मानें तो पेगोलिन तस्करी से जुड़े पूरे मामले को राज्य स्तर पर गठित एसआईटी को सौंपा जाएगा जो राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस गिरोंह के जुड़े होने के सबूत खंगालेगी।
चीन में बनतीं हैं दवाएं, करोड़ों डॉलर का कारोबार
द इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजरवेशन और ऑफ नेचर के अनुसार दुनिया भर में वाइल्ड लाइफ से जुड़ा जितना भी कारोबार होता है, उसका 20 फीसदी तो अकेला पेंगोलिन की तस्करी से जुड़ा कारोबार है। विलुप्तप्राय इस जीव की तस्करी मुख्यत: इसके शरीर के ऊपरी हिस्से और मांस की होती है। इसके शरीर के कई हिस्से तो तीन हजार डॉलर प्रति किलो के हिसाब से भी बिकते हैं। चीन में इससे बड़े पैमाने पर दवाइयां बनतीं हैं। ये दवाएं मुख्यत: किडनी के लिए उपयोग में आती हैं। इसके अलावा पावर बढ़ाने वाली दवाएं भी बनाई जाती हैं। वियतनाम में इसका मांस बहुत महंगा बिकता है। दोनों देशों में इसका मीट लग्जरी फूड की श्रेणी में आता है। द इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजरवेशन और ऑफ नेचर के अनुसार ये पूरा कारोबार गैरकानूनी है, इसके बावजूद पूरी दुनिया में इस जीव की तस्करी से जुड़ा अरबों रुपए का कारोबार होता है।