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दो हजार पुराने किले में सजेगा मेला

locationउमरियाPublished: Aug 22, 2019 10:09:39 pm

Submitted by:

ayazuddin siddiqui

नगर के चौराहों पर सजेगी नंद किशोर की झांकियां

Fair will be held in two thousand old fort

दो हजार पुराने किले में सजेगा मेला

उमरिया. जिला मुख्यालय से लगभग 30 किलोमीटर दूर बांधवगढ़ नेशनल पार्क की पहाड़ी में स्थित लगभग दो हजार वर्ष पुराने किले को घूमने का अवसर लोगों को गुरुवार को मिलेगा। वर्ष में सिर्फ एक बार कृष्ण जन्माष्टमी के दिन ही ऐसा अवसर आता है जब आम नागरिक यहां तक पहुंच पाते हैं। कृष्ण जन्मोत्सव के अवसर पर यहां भब्य मेले का आयोजन किया जाता है। इस दिन बांधवगढ़ नेशनल पार्क के गेट भक्तों के लिए खोल दिए जाते हैं। भक्तगण लगभग 8 किलोमीटर के ट्रैक पैदल पार कर किला स्थित राम जानकी मंदिर दर्शन करने पहुंचते हैं। बांधवगढ़ किला स्थित राम जानकी मंदिर में प्रत्येक वर्ष जन्माष्टमी के अवसर पर मेला लगता है। बांधवगढ का किला लगभग 2 हजार वर्ष पहले बनाया गया था। जिसका जिक्र शिव पुराण में भी मिलता है। इस किले को रीवा के राजा विक्रमादित्य सिंह ने बनवाया था। किले में जाने के लिये मात्र एक ही रास्ता है जो बांधवगढ नेशनल पार्क के घने जंगलो से होकर गुजरता है। जन्माष्टमी के अवसर पर भगवान कृष्ण का जन्म बांधवगढ किले में पारंपरिक उत्सव और उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस किले के नाम के पीछे भी पौराणिक गाथा है। कहते हैं भगवान राम ने वनवास से लौटने के बाद अपने भाई लक्षमण को यह किला भेंट किया था। इसी लिए इसका नाम बांधवगढ़ यानी भाई का किला रखा गया है। स्कंध पुराण और शिव संहिता में इस किले का वर्णन मिलता है। बांधवगढ़ की जन्माष्टमी सदियों पुरानी है, पहले ये रीवा रियासत की राजधानी थी तभी से यहां जन्माष्टमी का पर्व धूमधूम से मनाया जाता रहा है और आज भी इलाके के लोग उस परंपरा का पालन कर रहे हैं। इस ट्रेक पर पहला पडाव शेष शैया है जहां एक छोटा कुंड (तालाब) है जो प्राकृतिक खनिज से भरपूर और ठंडा पानी श्रद्धालुओ को प्यास बुझाने के लिये देता है । यहां उन्हे भगवान विष्णु की लेटी हुई विशाल पत्थर की मूर्ति जिसे शेष सैय्या के नाम से जाना जाता है, के दर्शन के लाभ मिलते हैं। साल भर पानी की एक अविरल धारा उनके पैर से आती है और तालाब में एकत्रित होती है। वहां कई विशाल दरवाजें स्थित है ,जिनका निर्माण किले की सुरक्षा के लिये किया गया था। इन दरवाजो को पार करने के बाद श्रद्धालु राम जानकी मंदिर पहुचते है। जहां भक्तगण जन्माष्टमी समारोह में वर्षा से भीगते हुये घने जंगलो, वादियों और पहाडो का लुत्फ लेते हुये पहुंचते है। बांधवगढ में जन्माष्टमी के अवसर पर परपंरागत रूप से भगवान कृष्ण की हांडी को तोडने के लिये मानव पिरामिड बनाते है। बाघो की विशेष आबादी वाला नेशनल पार्क 30 जून से 30 सितंबर तक पर्यटको के लिए बंद कर दिया जाता है। कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर यह विशेष रूप से खोला जाता है। जहां प्रतिवर्ष लगभग 15 हजार श्रद्धालु प्रात: 8 बजे ताला गेट से होकर 8 किमी पैदल चलकर भगवान राम जानकी के दर्शन करने जाते है। ये श्रद्धालु सायं 5 बजे तक दर्शन के पश्चात वापस आ जाते है। कृष्ण भक्तों की सुरक्षा के लिये जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन एवं बांधवगढ टाईगर रिजर्व के अधिकारी कर्मचारी तैनात रहते है जो जंगली जानवरो पर खास कर बाघ पर नजर रखते हुये सुरक्षा प्रदान करते है। 8 किलोमीटर ट्रैक में चप्पे चप्पे पर सुरक्षा के इंतजाम किये जाते है और लोगो को सुरक्षा के उपाय भी बताते रहते है।

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