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उज्जैन

चार माह बीत गए… पेट्रोल और डीजल ऐसे कर रहे जेब हल्की

चार महीने में 80 रुपए से नीचे नहीं उतरा पेट्रोल, डीजल ने तोड़ा रिकॉर्ड

उज्जैनAug 28, 2018 / 12:54 am

Lalit Saxena

patrika

चार माह बीत गए… पेट्रोल और डीजल ऐसे कर रहे जेब हल्की

उज्जैन. रोजमर्रा की जरूरत पेट्रोल और डीजल के दाम आसमान छू रहे हैं। चार महीने में सादे पेट्रोल की कीमत 80 रुपए प्रति लीटर से नीचे नहीं आई है वहीं डीजल के दामों ने पांच महीने का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। सोमवार को डीजल के दाम 73.57 रुपए प्रति लीटर रहा।
पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दाम आमोखास, हर किसी के बजट पर चोट मार रहे हैं। स्थिति यह है कि एक महीने में ही पेट्रोल और डीजल की कीमत में करीब दो-दो रुपए प्रति लीटर का इजाफा हुआ है, जबकि इस दौरान कमी के नाम पर कीमत में चंद पैसे ही घटे हैं। पांच महीनों के दौरान आखिरी बार पेट्रोल के दाम 20 अप्रैल को 80 रुपए से नीचे (79.87 रु. प्रति लीटर)थे। इसके बाद से पेट्रोल की कीमत 80 रुपए से कम नहीं हुई है। इसी तरह डीजल की कीमत भी आखिरी बार 14 मई को 70 रुपए से नीचे (69.87 रु. प्रति लीटर) थी और इसके बाद से दाम 70 रुपए से अधिक ही हैं। पांच महीने में तो डीजल सर्वोच्च कीमत 73.57 रुपए प्रति लीटर पर पहुंच गई है। पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों के कारण इनके उपभोक्ताओं की जेब पर पर सीधा प्रभाव पड़ ही रहा है, ट्रांसपोर्टेशन, यात्री भाड़ा, विभिन्न सामग्रियों की कीमत में इजाफा जैसा अपरोपक्ष असर भी हो रहा है।
एक साल, बढ़े 8 रुपए
बीते 12 महीने की तुलना की जाए तो इस दौरान पेट्रोल और डीजल दोनों के ही दामों में 8 रुपए प्रति लीटर से अधिक का इजाफा हुआ है। 27 अगस्त 2017 को पेट्रोल के दाम 75.91 व डीजल 63.78 रुपए प्रति लीटर था। 27 अगस्त 2018 को पेट्रोल की कीमत 83.99 और डीजल की 73.57 रुपए प्रति लीटर रही।
पांच महीने में कब सबसे सस्ता और महंगा रहा ईंधन
ईंधन सबसे कम सबसे अधिक
पेट्रोल 1 अप्रैल को 79.52 29 मई को 84.38
डीजल 1 अप्रैल करे 68.21 27 अगस्त को 73.57
&गुड्स ट्रांसपोर्ट व्यवसाय की 70 फीसदी लागत डीजल खर्च है। बार-बार डीजल के दाम बढऩे से ट्रांसपोर्टेशन खर्च बढ़ जाता है जिसके कारण भाड़ा बढ़ाना मजबूरी हो जाता है। इसका असर आम परिवहन होने वाले सभी उत्पाद या सामग्री पर भी पड़ता है और आम उपभोक्त महंगाई से प्रभावित होता है। साथ ही ट्रासंपोटर्स को भी कई नुकसान झेलना पड़ते हैं।
सौरभ जैन, अध्यक्ष उज्जैन गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन
&बढ़ रहे ईंधन के दामों से बस संचालन मुश्किल होने लगा है। जिस अनुपात में डीजल मूल्य वृद्धि व अन्य संधारण खर्च बढ़ रहे हैं, किराए की दर उतनी नहीं बढ़ पाती है। इसके चलते बस व्यवसाय घाटे का सौदा बन गया है। डीजल व पेट्रोल की बढ़ती दरों पर नियंत्रण जरूरी है।
बंटी भटौरिया, बस ऑपरेटर
&हर चुनाव में पेट्रोल-डीजल की कीमत मुख्य मुद्दा होता है लेकिन चुनाव के बाद आम व्यक्ति को बढ़े हुए दाम ही चुकाना पड़ते हैं। पेट्रोल-डीजल की कीमत का असर सिर्फ वाहन चलाने पर ही नहीं पड़ता, बल्कि रोजमर्रा में उपयोग होने वाली सभी वस्तुओं पर पड़ता है। इनके बढ़ते दाम व महंगाई से सिर्फ वाहन चलाना ही नहीं, घर चलाना भी मुश्किल हो गया है। – राज शेरा, सैलून संचालक

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