बारिश के दौरान जिले के 17 जलाशयों में 3 करोड़ 25 लाख मत्स्य बीज डाले जाएंगे। विभाग की विभिन्न हैचरीज में एक से डेढ़ माह के फ्राई विकसित कर लिए गए हैं। मत्स्य बीज संचय को लेकर ठेकेदारों को निर्देशित कर दिया है। विभाग की देखरेख में ठेकेदार 15 जुलाई से बीज डालने का काम शुरू करेंगे और इसकी वीडियोग्राफी होगी। बुझ का नाका का ठेका 4 लाख एवं मदार छोटा का ठेका 2 लाख 34 हजार 900 रुपए में पांच वर्ष के लिए छूटा है जबकि ए श्रेणी के बडग़ांव, सेई डेम व मदार बड़ा के मत्स्य पालन ठेके 3 जुलाई को जयपुर स्थित निदेशालय से होंगे।
सहायक निदेशक (मत्स्य) अकील अहमद ने बताया कि इस वित्तीय वर्ष में ठेकों से 5 करोड़ 35 लाख 5,473 रुपए की राजस्व आय हुई है जबकि जिला परिषद के अधीन जलाशयों से 7 लाख 9,220 रूपए की आय अर्जित की है।
प्रदेश में मत्स्याखेट पर 16 जून से पाबंदी मत्स्याखेट पर ढाई माह रोक
राजस्थान मत्स्य क्षेत्र अधिनियम 1953 की धारा 7 एवं राजस्थान मत्स्य क्षेत्र नियम 1958 के नियम 11 में प्रदत शक्तियों के तहत सम्पूर्ण राज्य में मत्स्याखेट पर रोक लगा दी गई है। सहायक निदेशक ने बताया कि 16 जून से मछलियों का प्रजनन काल शुरू हो जाता है, जो ढाई माह तक चलता है। इस दौरान प्रदेश में मत्स्याखेट पर पूरी तरह से प्रतिबंध रहेगा। मत्स्य निदेशालय ने आदेश जारी कर 16 जून से 31 अगस्त तक की अवधि में पूरे राज्य में मत्स्याखेट पर पाबंदी लगा दी है। इस दौरान मछली मारना, परिवहन करना एवं प्रदर्शित करना अपराध की श्रेणी में आता है।