अंचल में ‘लक्ष्मी’ के आह्वान में रह गई कमी
उदयपुरPublished: Jul 15, 2019 02:48:20 pm
झीलों की नगरी में हम ‘लक्ष्मी’ का आह्वान ऐसा नहीं कर पाए कि वह प्रसन्न हो जाए। प्रदेश में भले ही उदयपुर संभाग का बड़ा महत्व है, लेकिन बेटियों के जन्म के मामले में हम बड़े साबित नहीं हो सके। लिंगानुपात आंकड़ों के अनुसार संभाग में ही बांसवाड़ा, राजसमन्द और चित्तौडगढ़़ से पीछे हैं। पूरे प्रदेश में बेटियों का अनुपात तो बढ़ा लेकिन उदयपुर अब भी आदर्श स्थिति में नहीं आ सका।
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उदयपुर. झीलों की नगरी में हम ‘लक्ष्मी’ का आह्वान ऐसा नहीं कर पाए कि वह प्रसन्न हो जाए। प्रदेश में भले ही उदयपुर संभाग का बड़ा महत्व है, लेकिन बेटियों के जन्म के मामले में हम बड़े साबित नहीं हो सके। लिंगानुपात आंकड़ों के अनुसार संभाग में ही बांसवाड़ा, राजसमन्द और चित्तौडगढ़़ से पीछे हैं। पूरे प्रदेश में बेटियों का अनुपात तो बढ़ा लेकिन उदयपुर अब भी आदर्श स्थिति में नहीं आ सका। राजस्थान में गर्भस्थ शिशु के लिंगपरीक्षण पर रोक लगाने के लिए चिकित्सा विभाग के तहत पीसीपीएनडीटी सेल काम कर रहा है। यह सेल अब तक राजस्थान सहित सभी पड़ोसी राज्यों में लिंगपरीक्षण के 116 मामले पकड़ चुका है। पिछले चार वर्ष में पीसीपीएनडीटी सेल ने बहुत अच्छा काम किया है और राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, पंजाब और हरियाणा में मामले पकड़े है। लिंगानुपात पिछले वर्ष 944 था जो अब बढ़ा है। उदयपुर का लिंगानुपात वर्ष 2011 में 924 था, जबकि अब 947 हो गया है। प्रदेश के 34 जिलों में 6 लाख 88 हजार 60 बेटों का जन्म हुआ, जबकि 6 लाख 52 हजार 499 बेटियां पैदा हुई, जबकि गत वर्ष बेटों की संख्या 7 लाख 22 हजार 134 थी। बेटियों की छह लाख 81 हजार 486 रही थी। संभाग की बात की जाए तो बांसवाड़ा सर्वाधिक एक हजार बेटों पर 1003 बेटियों के साथ अव्वल रहा है। दूसरे स्थान पर चित्तौडगढ़ 958, राजसमन्द 956, उदयपुर 947 के साथ तीसरे पायदान पर रहा। इसी प्रकार प्रतापगढ़ 938 और डूंगरपुर 906 बेटियों के साथ संभाग में सबसे पीछे है। सीएमएचओ डॉ दिनेश खराड़ी ने बताया कि पूर्व जिला कलक्टर बिष्णुचरण मल्लिक के मार्गदर्शन में करीब दस निजी चिकित्सालयों ने बिलिया गांव की 27 छात्राओं को गोद लिया था। उनकी शिक्षा की पहल की थी। करीब तीन वर्ष पहले किए गए इस नवाचार से इन बेटियों का शुल्क व अन्य खर्च इन चिकित्सालयों ने उठाया था।