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सूरत

ट्रेनों में भीड़ बढऩे के साथ बढ़ गए मोबाइल और पर्स चोरी के मामले

स्लीपर कोच में पैर रखने तक की जगह नहीं, जेबकतरे उठा रहे हैं फायदा

सूरतApr 19, 2019 / 09:43 pm

Sanjeev Kumar Singh

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ट्रेनों में भीड़ बढऩे के साथ बढ़ गए मोबाइल और पर्स चोरी के मामले

सूरत.

सूरत और उधना स्टेशन पर ग्रीष्मावकाश की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। डाइंग मिल में नौकरी करने वाला एक व्यक्ति बुधवार को अपने संबंधियों को वडोदरा-वाराणसी महामना एक्सप्रेस में छोडऩे आया था। ट्रेन की भीड़ में जेबकतरे ने उसका मोबाइल और पर्स पार कर दिया। स्टेशन परिसर के साथ कोच के भीड़-भड़क्के में इस तरह की घटनाएं बढ़ गई हैं।

वडोदरा-वाराणसी महामना एक्सप्रेस प्रत्येक बुधवार वडोदरा से शाम 7.40 बजे रवाना होकर रात 9.30 बजे सूरत पहुंचती है। पांडेसरा क्षेत्र के बालाजीनगर निवासी मनीष चौबे का बुधवार को महामना एक्सप्रेस में सूरत से वाराणसी के लिए रिजर्वेशन था। मनीष के पास भाई चंदन चौबे, अनीता, सोनी तथा पूनम तिवारी समेत छह लोगों की सीट थी। इन्हें ट्रेन में चढ़ाने के लिए सत्येन्द्र यादव साथ आया था। स्टेशन पर ट्रेन आते ही यात्रियों की भीड़ ने कोच में चढऩे के लिए अफरा-तफरी मचा दी।
वेकेशन के कारण इस ट्रेन के स्लीपर कोच की हालत जनरल कोच से भी खराब थी। यात्रियों को कोच के अंदर पैर रखने तक की जगह नहीं मिल रही थी। यात्रियों ने कोच में चढऩे के लिए दरवाजे के साथ-साथ आपातकालीन खिडक़ी का सहारा लिया। प्लेटफॉर्म पर यात्रियों की भीड़ को नियंत्रित करने तथा सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं थे। मनीष ने बताया कि सत्येन्द्र का मोबाइल तथा पर्स जेबकतरे ने चोरी कर लिया। पर्स में एटीएम कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस और नकद एक हजार रुपए थे।
सत्येन्द्र ने पुलिस रिपोर्ट दर्ज नहीं करवाई। मनीष के साथ सफर कर रही पूनम तिवारी ने बताया कि कोच में वेटिंग तथा जनरल टिकट पर रसीद बनाकर सफर करने वाले यात्रियों की संख्या दो गुनी थी। स्लीपर कोच के पैसेज में सामान रख देने से कन्फर्म सीट वाले यात्रियों को भी टॉयलेट तक जाने के लिए कूदना-फांदना पड़ा। महिलाओं के साथ वरिष्ठ नागरिकों को स्लीपर कोच में काफी परेशानी के साथ यात्रा करनी पड़ी। भीड़ में जेबकतरे भी यात्री बनकर कोच में चढ़ते हैं और चोरी करने के बाद दूसरी साइड से उतर कर फरार हो जाते हैं।

पूछताछ की उचित व्यवस्था नहीं

सूरत स्टेशन से प्रतिदिन एक लाख से अधिक यात्रियों की आवाजाही होती है, लेकिन ट्रेन संबंधी पूछताछ के लिए सिर्फ एक खिडक़ी होने से यात्रियों को काफी परेशानी हो रही है। करंट टिकट बुकिंग कार्यालय के आसपास पूछताछ के लिए कोई खिडक़ी नहीं है। यात्री टिकट लेकर पहले एक नम्बर प्लेटफॉर्म पर पहुंचते हैं और बुक स्टॉल, फूड स्टॉल कर्मचारी, स्टेशन मैनेजर, उप स्टेशन अधीक्षक ऑफिस में ट्रेन संबंधी पूछताछ करते हैं।
प्लेटफॉर्म एक पर आने के बाद यात्री चार नम्बर या दो-तीन नम्बर प्ल्टफॉर्म पर जाने के लिए फुटओवर ब्रिज का उपयोग कर अनावश्यक भीड़ बढ़ाते है। सूत्रों ने बताया कि वेकेशन में प्लेटफॉर्म संख्या एक की सीढ़ी के पास अस्थाई पूछताछ खिडक़ी खोलने से राहत मिलेगी।

स्टेशन पर कई सीओटीवीएम बंद

पश्चिम रेलवे के मुम्बई रेल मंडल में बड़े स्टेशनों के करंट टिकट बुकिंग कार्यालय पर भीड़ कम करने के लिए सीओटीवीएम मशीन लगाई गई हैं। सूरत स्टेशन पर पांच तथा उधना स्टेशन पर तीन सीओटीवीएम मशीन उपलब्ध करवाई गई थीं। इनमें से ज्यादातर सीओटीवीएम बंद हैं। सूत्रों ने बताया कि सूरत स्टेशन पर करंट टिकट बुकिंग कार्यालय की एक नम्बर खिडक़ी और पीएनबी बैंक एटीएम सेंटर के पास एक सीओटीवीएम काफी दिन बंद पड़ा हुआ है।
वाणिज्य विभाग द्वारा मशीन को चालू करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गए। उधना स्टेशन पर लगाए गए सीओटीवीएम भी महीनों से बंद पड़े हैं। स्टेशनों पर वेकेशन के दौरान यात्रियों की भीड़ बढ़ रही है। यात्रियों की लम्बी कतार स्टेशन बिल्डिंग से बाहर मेन गेट तक पहुंच रही है। इसके बावजूद रेल प्रशासन मूक दर्शक बना हुआ है।

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