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चेन्नई

अफसरों की जमीन अवाप्त होगी तब किसानों का दर्द समझ आएगा

चेन्नई-सेलम ग्रीनफील्ड हाईवे परियोजना को लेकर दायर याचिका पर मद्रास उच्च न्यायालय ने कहा

चेन्नईSep 12, 2018 / 06:20 pm

P S VIJAY RAGHAVAN

when Officers land will inaccessible they will understood farmers pain

अफसरों की जमीन अवाप्त होगी तब किसानों का दर्द समझ आएगा

चेन्नई. मद्रास उच्च न्यायालय का कहना है कि अगर अफसरों की जमीन अवाप्त की जाए तो उनको किसानों की व्यथा का आभास होगा। चेन्नई-सेलम ग्रीनफील्ड आठ लेन वाली हाईवे परियोजना को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने यह विचार व्यक्त किए। याचिका पर सुनवाई के वक्त याचिकाकर्ताओं ने कहा कि इस प्रोजेक्ट को लेकर पेड़ नहीं काटे जाने चाहिए। उनका आरोप था विल्लुपुरम जिले के कलवरायन क्षेत्र में ५०० पेड़ काटे गए है।
जज ने इस बारे में सरकारी अधिवक्ता से सवाल करते हुए चेताया कि पेड़ नहीं काटे जाने चाहिए। अगर ऐसा किया जाता है तो परियोजना पर रोक लगा दी जाएगी। किस वजह से पेड़ काटे गए इस बारे में विवरण पेश किया जाए।
न्यायालय ने पूछा कि जब भूमि के मापन का कार्य चल रहा है तो पेड़ काटने की क्या आवश्यकता पड़ गई? एक पेड़ काटने की अनुमति लेकर क्यों कई पेड़ काट दिए गए। अवैध तरीके से हुई इस कटाई को लेकर क्यों नहीं इस परियोजना पर स्टे लगा दिया जाए। अगर सरकारी अधिकारियों की जमीन इस तरह अवाप्त हो तब उनको किसानों का दर्द पता चलेगा। जज ने भूमि मापने और पेड़ों की कटाई को लेकर सरकार से विवरण मांगा है। साथ ही पर्यावरणीय प्रभाव को लेकर केंद्र सरकार से जवाब पेश करने को कहा है।

मूर्ति तस्करी प्रकरण : सीबीआइ से हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

चेन्नई. तमिलनाडु के मंदिरों से मूर्ति चोरी व तस्करी के प्रकरणों की जांच आइडल विंग से केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) को सुपुर्द करने के सरकार के फैसले को दी गई चुनौती मामले में मद्रास उच्च न्यायालय ने सीबीआइ से जवाब मांगा है। सरकार ने आर्थिक अपराध शाखा की आइडल विंग से इन मामलों की जांच सीबीआइ के हवाले कर दी थी। सरकार का तर्क था कि चोरी व तस्करी के तार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैले है इसलिए सीबीआइ जैसी केंद्रीय जांच एजेंसी की पड़ताल ही प्रभावी रहेगी। सरकार के इस आदेश को निरस्त करने की मांग को करते एडवोकेट एलिफेंट गजेंद्रन ने उच्च न्यायालय में याचिका लगाई। न्यायालय की विशेष पीठ ने केस सीबीआइ को अंतरित करने के फैसले पर अंतरिम रोक लगाई थी। इस याचिका पर न्यायाधीश आर. महादेवन व न्यायाधीश आदिकेशवलु ने सुनवाई की। न्यायिक पीठ ने कहा कि मूर्ति चोरी व तस्करी मामलों की जांच सीबीआइ से कराने संबंधी दस्तावेज अदालत में दाखिल किए जाएं।
सरकार की ओर से बताया गया कि ये दस्तावेज केंद्र सरकार व प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजे गए है। इसलिए कोर्ट में बुधवार को पेश कर दिए जाएंगे। साथ ही यह भी कहा कि कुंभकोणम के मंदिरों में हुई चोरियों की जांच आईजी पोन माणिकवेल की अध्यक्षता वाली समिति करेगी। जबकि विदेशों में हुई तस्करी के प्रकरणों की जांच ही सीबीआइ के हवाले की गई है। सरकार की दलील जानने के बाद न्यायालय ने सीबीआइ से इस मामले में उसकी राय मांगी। सीबीआइ को २४ सितम्बर तक जवाब देने का नोटिस जारी करते हुए सुनवाई मुल्तवी कर दी गई।

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