बताया गया कि जिला जेल में कुल छह बैरक हैं तथा चार बैरक का निर्माण कराया जा रहा है। कुल छह बैरकों में 160 कैदियों को रखने की क्षमता है लेकिन वर्तमान में 6 बैरकों में जिला जेल में 70 कैदी और 413 बंदियों को रखा गया है। इस प्रकार स्थिति यह है कि जिला जेल की एक बैरक में क्षमता से 60-70 कैदियों को अधिक रख रहे हैं।
सतना जिले में खुली जेल जेल अधीक्षक ने बताया कि विंध्य क्षेत्र के सतना जिले में खुली जेल बनाई गई है। इसके अलावा होशंगाबाद व जबलपुर में खुली जेल है। इसी प्रकार सागर और इंदौर में खुली जेल का उद्घाटन हुआ है। खुली जेल में 25 कैदियों के परिवार सहित रहने की व्यवस्था रहती है। ऐसे में कैदियों को घुटन महसूस नहीं होती, उन्हें लगता है कि वे घर में हैं। यही उम्मीद जिला जेल के उन कैदियों को है। जिनका बर्ताव अच्छा है।
अब तक कोई प्रस्ताव ही नहीं हालत यह है कि सिंगरौली को राज्य के नक्शे पर जिले के रूप में अस्तित्व में आए दस वर्ष हो गए मगर यहां जेल में भारी भीड़भाड़ को देखते हुए और इस भीड़ को कम करने तथा अच्छे आचरण वाले कैदियों को पारिवारिक माहौल देकर समाज की मुख्यधारा में शामिल करने की पहल कर खुली जेल के बारे में सोचा ही नहीं गया। इसे लेकर प्रशासन या जेल प्रशासन के स्तर पर इस संबंध मेंं अब तक कोई प्रस्ताव ही नहीं बना। हालांकि खुली जेल के लिए जिले में पर्याप्त स्थान व साधन भी उपलब्ध हैं।
यह है खासियत
वर्षों पुरानी तंग काल कोठरी की जगह, दो कमरों का नया-नवेला घर, जिसमें परिवार के साथ रहने का सुख और इसके साथ ही दिन भर बाहर काम करने की स्वतंत्रता। यह खुली जेल की खासियत है। इस जेल में कैदी सलाखों में बंद नहीं रहते हैं। कैदियों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के मकसद से खुली जेल की शुरुआत की जाती है। खुली जेल में कैदियों को घर बसाने और काम पर जाने की आजादी मिल जाती है। कैदियों को ऐसा महसूस होता है कि जैसे उनकी रिहाई हो गई है। खुली जेल में रहने के बावजूद भी कैदियों को बाहर काम करने की आजादी भी है, ताकि जेल में रहते हुये भी उनका परिवार चल सके।
नकारात्मक भावनाएं होती हैं दूर
जानकारों का मानना है कि कई बार ऐसा होता है कि क्षणिक आवेग के कारण लोग गंभीर अपराध कर बैठते हैं। ऐसे लोग जब सजा के दौरान लंबे समय तक सामान्य जेलों में बंद रहते हैं तो उनके मन में सामाजिक तंत्र से बगावत करने और अन्य नकारात्मक भावनाएं घर कर जाती हैं। ऐसे कैदियों को नकारात्मक भावनाओं से बचाकर उनकी सामाजिक बहाली के लिये खुली जेल का प्रयोग सर्वश्रेष्ठ विकल्प है।
परिवार के साथ रहते हैं
जेल मैनुअल के अनुसार खुली जेल में कैदी आवास में अपने परिवार के साथ रहते हैं और दिनभर आसपास अपना काम काज कर शाम ढले वापस अपने परिवार के पास जेल में बने आवास में लौट आते हैं। कैदियों को जेल से रिहा होने के बाद पुन: समाज की मुख्यधारा में समरस होने का मौका देने के उद्देश्य से उनकी सजा के अंतिम एक-दो साल के लिये उन्हें इस खुली जेल में रखा जाता है।
अलग चयन प्रक्रिया होती है खुली जेल में कैदियों को भेजने के लिये अलग चयन प्रक्रिया होती है। मापदंडों पर खरा उतरने के बाद ही कैदियों का खुली जेल में रहने के लिये चयन किया जाता है। जेल अधीक्षक ने कहा इसमें विशेषतौर पर ऐसे कैदियों का चयन किया जाता है जो कि आदतन अपराधी नहीं होते तथा 10-12 वर्ष की कैद के बाद उनकी सजा के अंतिम एक-दो साल ही शेष रहते हैं।
सतना में खुली जेल बनायी गई है, लेकिन सिंगरौली में खुली जेल का कोई प्रस्ताव नहीं है। जबकि यहां जिला जेल में ऐसे कैदी हैं जिनका चाल-चलन और बर्ताव अच्छा है। उन्हें खुली जेल में रखा जा सकता है।
इन्द्रदेव तिवारी, जेल अधीक्षक, जिला जेल बैढन
जिला जेल की यह है स्थिति
– कुल बैरक 06
– कैदियों की क्षमता 160
– वर्तमान में कुल कैदी 70
– वर्तमान में कुल बंदी 413
– एक बैरक में 60 से 70 कैदी