जिनके माता पिता तक नहीं, उनके साथ अनाचार
आपको बता दें कि, इस आक्षम में वो बच्चियां रहा करती थीं, जो किसी कारणवश अपने माता-पिता को खो चुकी हैं। ऐसी बच्चियों को आश्रम इसलिए लाया जाता था ताकि, उन्हें एक माता पिता की कमी महसूस ना हो और उनके परवरिश बेहतर ढंग से हो सके। लेकिन इंसानियत को शर्मसार कर देने वाली इस घटना में उन मासूमों को तो कभी माता पिता के जैसा प्यार नहीं मिला, बल्कि जिन लोगों में वो अपने माता पिता को खोजती थीं, वो ही हर रोज उनका शोषण करते, उन्हें प्रताणित करते थे। हैरानी की बात ये है कि, जो इंसान उन मासूमों के साथ दुष्कर्म करता था वो उनके दादा या नाना की उम्र का व्यक्ति था।
न्याय दिलाने से जाना जाने वला ही कराता था अन्याय
हैरानी की बात ये भी है कि, इस मामले में आश्रम संचालिका और बलात्कारी के.एन अग्रवाल की बेटी शैला अग्रवाल भी इस घिनौनी करतूत में अपने पिता के साथ बराबर की हिस्सेदार थी। शैला ही रोजाना आश्रम की अलग अलग बच्चियों को अपने पिता के पास दुराचार और प्रताणित होने के लिए भेजती थी। मिली जानकारी के मुताबिक, आश्रम में करीब 23 बच्चियां रहती थी, जिनमें से 15 बच्चियों की उम्र 15 से 16 साल के बीच थी, उन्ही बच्चियों में से छह बच्चियों ने उनके साथ दुष्कर्म होने की बात कही थी, बाकि सभी बच्चियों ने उनके ऊपर अत्याचार होने का आरोप लगाया था। बता दें कि, अपराधी आश्रम संचालिका पैशे से वकील है, यानि जिस इंसान को लोगों को न्याय दिलाने के लिए जाना जाता है, वो ही मासूमों के साथ अन्याय कराने का काम कर रहा था।
15 नवंबर 2016 को हुआ था मामला उजागर
गौरतलब है की, शहर के पटेलनगर मे सालों से शकुंतला परामर्थ माधव बाल आश्रम संचालित था, जहां कि संचालिका और उसके रिटायर्ड पिता पर ये आरोप था कि, वो आश्रम की बच्चियों को जबरदस्ती नशीली दवाईयां देकर उनका दैहिक शोषण करता है। मामले की सूचना मिलते ही जब जिला प्रशासन और पुलिस ने आश्रम की तलाशी ली, तो वहां नशीली दवाईयां, शराब की बोतलें और कुछ आपत्तिजनक सामान मिला। वहीं, पुलिस ने मामले को लेकर बच्चियों से बयान भी लिए, जिसमें इस मामले पर से पर्दा उठा। इन दोनो आधारों के मद्देनजर पुसिस ने दोनो अपराधियों को गिरफ्तार कर लिया, साथ ही, दोनो पर धारा 376, 354 और पाक्सो एक्ट के तहत ममाला मामला दर्ज किया गया, जिसमें करीब 18 महीने चली सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुना दिया।