स्कूल बस के रांग साइड पर होने के कारण हुआ हादसा
स्कूली बस के चालक ने डीजल व समय की बचत के लिए बस में सवार आधा सैकड़ा से अधिक बच्चों की जान जोखिम में डाल दी। कोलारस में स्कूल बस के कंटेनर से भिडऩे के बाद गंभीर रूप से घायल बच्चों को इलाज के लिए जिला अस्पताल भेजा गया। बच्चों ने पत्रिका से बात करते हुए बताया कि ड्रायवर अंकल बस रांग साइड पर चला रहे थे, इसी कारण यह हादसा हुआ।
घायल बच्चों में शामिल गंभीर रूप से घायल सोनू पुत्र कल्ला जाटव उम्र 10 वर्ष निवासी रन्नौद, खुशी पुत्री सोनू रघुवंशी 12 वर्ष निवासी लुकवासा, रिंकल पुत्र करन धाकड़ 13 वर्ष निवासी लुकवासा, शिवप्रताप पुत्र परमाल रघुवंशी 14 वर्ष निवासी लुकवासा, बस चालक कल्ला पुत्र नंदराम जाटव उम्र 25 वर्ष, विनय पुत्र बलवीर रघुवंशी निवासी लुकवासा को इलाज के लिए जिला अस्पताल लाया गया। घायल बच्चों ने एक स्वर में कहा कि ड्रायवर अंकल रांग साइड पर बस चला रहे थे, इसी दौरान सामने से ट्रक आता दिखा तो ड्रायवर अंकल ने बस के ब्रेक लगाए, इसके बावजूद बस-ट्रक में टक्कर हो गई। जब इस संबंध में लुकवासा चौकी प्रभारी बीएस पाल से बात की गई तो उनका कहना था कि उन्होंने घटना के बाद मौके पर पूछताछ की तो लोगों ने बताया कि बस चालक हर रोज बस को रांग साइड से लेकर जाता था। बताया जा रहा है कि बस चालक डीजल और टाइम बचाने के फेर में स्कूल से कुछ दूर स्थित क्रॉसिंग से बस को राइट साइड ले जाने की बजाय रांग साइड से ले जाता था।
कंडम है दुर्घटनाग्रस्त स्कूल बस
बात यदि स्कूल बस की स्थिति की करें तो एमपी ट्रांसपोर्ट की साइड पर स्कूल बस की जो स्थिती शो हो रही है उसके अनुसार बस २००५ मॉडल है, यानि कि १४ साल पुरानी बस को सडक़ पर दौड़ाया जा रहा था। इसके अलावा २०१० के बाद बस की फिटनेस जारी नहीं की गई है। बात यदि बीमा की करें तो साइट के अनुसार २००६ के बाद स्कूल बस का कभी कोई बीमा नहीं कराया गया है। ऐसे में स्कूल प्रबंधन की लापरवाही भी साफ साफ उजागर हो रही है, कि वह कभी इस बात पर ध्यान नहीं देते कि बस पूरी तरह से फिट, इंश्योरड है या नहीं।
प्रत्यक्षदर्शियों की मानें तो बस में घटना के समय ५५ बच्चे सवार थे। घटना के समय स्कूल बस के चालक तथा कंटेनर के चालक ने हादसे को बचाने का प्रयास किया, इस कारण वाहन आमने सामने से टकराने की बजाय आपस में रगड़ कर निकल गए इस कारण एक बड़ा हादसा टल गया। अगर यह भिड़ंत आमने सामने की होती तो यह हादसा और भी बड़ा हो सकता था, क्योंकि बस ओव्हर लोड थी और बच्चे ठंूस ठंूस कर बैठे हुए थे।