अखंडित चावल
पूजा चाहे कोई भी हो, सभी में चावल की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। लेकिन ध्यान रहे कि पूजा में जिन भी चावलों का प्रयोग हो, वह अखंडित हों अर्थात टूटे हुए न हों। चावल चढ़ाने से पहले अगर आप उन्हें हल्दी के घोल से पीला कर लेते हैं तो यह और भी शुभ है। कभी भी धार्मिक कार्य के लिए किसी खंडित वस्तु, जैसे टूटे दीपक आदि का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए।
पान का पत्ता
पूजा में पान का पत्ता बहुत उपयोगी माना गया है। पान के पत्ते में इलायची, लौंग, गुलकंद आदि भी डालकर पूजा करेंगे तो यह और शुभ होगा।
पूजा का फल
पूजा के दौरान जलाए गए दीपक का विशेष ध्यान रखना चाहिए। दीपक के बुझने से पूजा का फल नहीं मिल पाता।
अनिवार्यता
पूजा की शुरुआत करने से पहले जिस भी देवी-देवता की पूजा की जानी है उनका आह्वान, ध्यान, आसन, स्नान, पूजा के लिए उपयोगी सामग्री, दीपक जलाना, प्रसाद आदि सभी जरूर होने चाहिए।
जरूरी सामग्री
देवी-देवताओं को चढ़ाए जाने वाले फूल-पत्तियों को साफ पानी से अवश्य धो लें। जिस भी भगवान की पूजा की आप तैयारियां कर रहे हैं, उनसे संबंधित सामग्रियों को जरूर शामिल करें। इसके लिए आप किसी विशेषज्ञ की सहायता ले सकते हैं।
आसन
जिस आसन पर बैठकर आप पूजा करने वाले हैं, उसे पैरों से नहीं अपने हाथों से खिसकाएं। पूजा स्थल के ऊपर किसी प्रकार का कबाड़ कदापि ना रखें।
वास्तुदोष से मुक्ति
अगर आप घर में मौजूद वास्तुदोष से परेशान हैं तो रोजाना घी का दीपक जलाएं। इससे काफी हद तक घर के वास्तुदोष दूर होते हैं।
पंचदेव
सनातन धर्म में पंचदेव यानि गणेश, सूर्य, दुर्गा, शिव और विष्णु देव का उल्लेख किया गया है। किसी भी कार्य की शुरुआत से पहले पंचदेव का ध्यान अवश्य करना चाहिए। प्रतिदिन की जाने वाली पूजा के दौरान भी इन पंचदेव का ध्यान करना सुख-समृद्धि प्रदान करता है।
दीपक का स्थान
पूजा के दौरान लगाया जाने वाला दीपक भगवान की मूर्ति के ठीक सामने होना चाहिए। दीपक को किसी दूसरी दिशा या इधर-उधर लगाना सही नहीं है।
रूई की बत्ती
अगर आप घी का दीपक जला रहे हैं तो उसमें सफेद रूई की बत्ती का उपयोग करें, वहीं अगर आप तेल का दीपक जलाते हैं तो लाल रंग की बत्ती उपयुक्त रहती है।
भगवान शिव की आराधना
जब आप भगवान शिव की पूजा कर रहे हैं तो आपको बिल्व पत्र जरूर चढ़ाने चाहिए, इससे आपकी मनोकामना भी जल्दी पूरी होती है। पूजा के लिए भगवान को दक्षिणा भी चढ़ाई जानी चाहिए। दक्षिणा चढ़ाते समय अपने दोनों हाथों का प्रयोग कर, अपने दोषों को त्यागने का संकल्प लें।
चमड़ा
भगवान शिव को कभी हल्दी या शंख से जल नहीं चढ़ाना चाहिए। पूजन स्थल की पवित्रता का हमेशा ध्यान रखें, चप्पल या फिर चमड़े की किसी वस्तु को पूजा स्थल में प्रवेश ना दें।
विशेष स्थान
हिन्दू धर्म में जहां मूर्ति पूजा को विशेष स्थान दिया गया है वहां ईश्वर के स्वरूप और उसके पूजन का महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है।
भगवान की मूर्ति
यही वजह है कि हिन्दू धर्म को अपनाने वाले लोगों के घर आपको प्रॉपर मंदिर या फिर अपने आराध्य देवता या देवी की मूर्ति अवश्य मिल जाएगी।
बहुत अलग है तरीका
हिन्दू धर्म में अनेक देवी-देवताओं और अवतारों का जिक्र है, जिनके चमत्कारों की गाथा से अधिकांश हिन्दू परिचित भी हैं। इन सभी को प्रसन्न करने का, उनकी अराधना करने का तरीका काफी हद तक एक जैसा होने के बावजूद बहुत अलग है।
अंदरूनी मजबूती
हिन्दू परिवारों में बचपन से ही पूजा का महत्व और ईश्वर पर आस्था रखना सिखाया जाता है। भले ही ईश्वर से साक्षात्कार हो पाना सामान्य जन जीवन में संभव नहीं है लेकिन ये विश्वास हमें भीतरी तौर पर मजबूत रखता है।
परिमार्जन
आजकल की जनरेशन कभी बिजी होने का बहाना तो कभी अंधविश्वास को आधार बताकर ईश्वर पर आस्था रखने, उन्हें याद करने से बचने लगी है। परंतु एक बार अपने विश्वास को टिका कर देखिए, जीवन में एक बड़ा परिमार्जन आप अवश्य महसूस करेंगे।
मूर्तियों का मुख
घर के मंदिर में भगवान की मूर्तियों को कुछ इस तरह स्थापित करें कि मूर्तियों का मुख एक दूसरे के सामने ना पड़े।
सूरज की रोशनी
घर में मंदिर कुछ ऐसे स्थापित किया जाना चाहिए जहां ताजी हवा और सूरज की रोशनी पहुंचती हो। जिन घरों में सूर्य की किरणों का प्रवेश होता है उन घरों में दोष तो वैसे ही समाप्त हो जाते हैं।
नमक का प्रयोग
घर से किसी भी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा को बाहर करने और घर के भीतर सुख-शांति बरकरार रखने के लिए पानी में नमक डालकर पोंछा अवश्य लगवाएं। विशेषकर जिस स्थान पर आपका मंदिर स्थापित है वहां तो जरूर ऐसा करें।