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बैल नहीं तो खुद हल में लगते हैं किसान के मासूम, झकझोर देंगी ये तस्वीरें

locationशाहडोलPublished: Aug 13, 2017 10:45:00 pm

Submitted by:

shubham singh

मध्यप्रदेश में एक किसान की आर्थिक स्थिति इतनी खराब है कि वह बेटों का इस्तेमाल करके खेत जोत रहा है।

farmer have not ox farmers are innocent in the hull

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डिंडोरी। mp.patrika.com आपको बताने जा रहा है मध्यप्रदेश के डिंडोरी जिले के शहपुरा जनपद पंचायत के मोहनी गांव की कहानी, जहाँ किसान और उसके पुत्र सरकारी भ्रष्टाचार के कारण बैलों की जगह खुद को जोतकर अनाज पैदा कर अपना पेट पाल रहा है। प्रदेश में खेती को लाभ का धंधा बताने के सरकारी दावों के बीच आदिवासी क्षेत्रों में दिल को तार तार कर देने वाली तस्वीरें सामने आ रही हैं जिनमें बैलों की जगह किसानों को खुद हल खींच कर खेती की तैयारी करना मजबूरी नजर आ रहा है ताजा मामला आदिवासी बाहुल्य डिंडोरी जिले के शहपुरा जनपद पंचायत के मोहनी गांव का है जहां आर्थिक तंगी के चलते किसान गोहरा सिंह बैल के इंतजाम में नाकाम होने के बाद खुद ही अपने दोनों बेटों के साथ हल खींचने लगा है, धान का रोपा लगाने के पूर्व खेत को तैयार करने की जुगत में किसान अपने बेटों के साथ हल को खींच रहा है। दरअसल गोहरा के पास पहले दो बैल थे लेकिन नागपंचमी के दिन एक बैल की मौत के बाद गोहरा असमर्थ हो गया और पैसों की कमी तथा खेती के समय को नजदीक आता देख उसने यह कदम उठाया और पिछले दिनों हुई बारिश के बाद अपने परिवार के साथ इस तरह की खेती करने में जुट गया है। 
जानकारी के मुताबिक हल के एक ओर गोहरा बैलों की जगह खुद कंधा सम्हालता है और दूसरी ओर बारी बारी से बेटों की सहायता लेता है गोहरा के अनुसार उसके पास इतना पैसा नहीं है कि वह बैल खरीद सके और समय निकल जाने पर धान का रोपा नहीं लग पायेगा उसके पास खुद जुतने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा था। हैरत की बात है कि पूरे मसले पर सरकारी नुमाईंदे और कृषि विभाग का रवैया उदासीन बना हुआ है किसी ने भी मजबूर गोहरा की सुध लेना मुनासिब नहीं समझा है जिससे प्रदेश में खेती को लाभ का धंधा बताने के दावे खोखले नजर आ रहे हैं गौरतलब है कि पिछले दिनों मेहंदवानी विकासखण्ड के मटियारी गांव में भी ऐसा ही मामला सामने आया था जहां सरकारी छलावे से पीडित किसान भी बैल की जगह खुद हल खींचने मजबूर हुआ था।
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