राजनीतिक शून्यता बनी इस क्षेत्र के लिए अभिशाप
नहीं बन पाई सड़क , चिकित्सक की राह देख रहा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र
Curse for this region made of political emptiness
शहडोल। दो दशक पूर्व जिस क्षेत्र से मानपुर विधान सभा की राजनैतिक गतिविधियों का संचालन होता था वह क्षेत्र अब राजनैतिक शून्यता के चलते अपना अस्तित्व खोता जा रहा है। अब इस क्षेत्र की विकास की बात मजबूती से रखने वाला व यहां की आवश्यक्ताओं की पूर्ति की मांग उठाने वाला कोई नहीं है। हम बात कर रहे हैं संभागीय मुख्यालय से लगे उमरिया जिले के मानपुर विधानसभा क्षेत्र के पनपथा से पडख़ुरी के बीच आने वाले लगभग आधा सैकड़ा गांवो की। जहां के लोग 20 वर्ष से महज 15 किलो मीटर सड़क निर्माण की बाट जोह रहे हैं वहीं यहां का इंदवार प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र लगभग 10 वर्ष से एक चिकित्सक की पदस्थापना की राह देख रहा है। इस क्षेत्र के वासिंदों को अब मूल-भूत सुविधाओं के भी लाले पड़ गए हैं। इस क्षेत्र में अपने आप को कद्दावर नेता कहने वाले क्षेत्र के विकास से कहीं ज्यादा स्वयं के विकास में मशगूल हैं।
छिन गई उप तहसील
वर्ष 2002 में अजय सिंह व तत्कालीन विधानयक नागेन्द्र सिंह इंदवार आए हुए थे जहां उन्होने इंदवार को उप तहसील बनाने की घोषणा की थी। जिसके बाद संघर्ष शुरु हुआ और चिल्हारी को भी उप तहसील बनाने की मांग उठ गई। लगभग १६ वर्ष यह विवाद चलता रहा इस बीच मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दोनो को किनारे करते हुए महरोई मोड़ में उप तहसील संचालित करने की घोषणा की। लेकिन इससे इंदवार समेत आस-पास के क्षेत्र को जो प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष लाभ मिलना था उससे लोग वंचित हो गए।
तीन बार हुआ टेण्डर पूरी नहीं हुई सड़क
पनपथा से इंदवार के बीच की लगभग 15 किमी की सड़क ने आज भी यहां के लगभग आधा सैकड़ा गांव के लोगों को जिला मुख्यालय से दूर किए हुए है। लगभग 20 वर्ष से खस्ताहाल सड़क में सफर करने के लिए लोग विवस हैं। इस बीच लगभग 3 बार इस सड़क का टेण्डर हुआ लेकिन अभी तक इस मार्ग का निर्माण कार्य पूरा नहीं हो पाया है। काफी जद्दोजहद के बाद कुछ कार्य हुआ है लेकिन अभी भी यह पूरा होता नजर नहीं आ रहा है।
2007 से नहीं है चिकित्सक
ग्रामीण अंचलो में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के उद्देश्य से ग्राम पंचायत इंदवार में संचालित प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में न तो संसाधन है और न ही समुचित स्वास्थ्य सुविधाएं। आलम यह है कि उक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में वर्ष 2007 से एक भी चिकित्सक पदस्थ नहीं है। यहां के मरीजों को जिला मुख्यालय ही रुख करना पड़ता है।
ये हैं क्षेत्र की प्रमुख समस्याएं
. शिक्षक विहीन है क्षेत्र का सबसे पुराना भरेवा हायर सेकेण्ड्री विद्यालय।
. जिला मुख्यालय पहुंचने के लिए आवागवन के साधनों का अभाव।
. जलापूर्ति के लिए कोई समुचित संसाधन नहीं, नल जल योजना ठप्प।
. तीन तरफ से जल भराव क्षेत्र से लगे होने के बाद भी सिंचाई के साधन नहीं।
. सड़क, बिजली व पानी जैसी समस्याओं से जूझ रहे ग्रामीण।
. शासन की योजनाओं के क्रियान्वयन के नाम पर कोरम पूर्ति।
. जन प्रतिनिधियों के साथ अधिकारियों ने भी बना रखी है क्षेत्र से दूरी।
. डूब प्रभावित गांवो को आजतक आवागमन की उत्तम व्यवस्था नही हो पाई
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