इस दौरान महिलाओं और श्रद्घालु भक्तों ने रास्ते में डोलों की पूजा-अर्चना की गई। इस मौके पर हाथी घोड़ा पालकी का जयकारा लगाते हुए श्रद्घालु साथ चल रहे थे। विमानों के चल समारोह में अखाड़ों के कलाकारों ने अनेक करतब दिखाकर लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। डोल ग्यारस अवसर पर शहर में मेले का दृश्य बना रहा।
इधर, धर्मसभा में प्रवचन सुनने उमड़े श्रद्धालु सीहोर. दिगंबर जैन सिद्धांत अनुसार पर्यूषण महाधिराज पर्व के सातवें दिवस उत्तम तप धर्म की आराधना आचार्य कंचन सागर महाराज के सानिध्य में पंडित ब्रजेनदर शास्त्री के निर्देशन में श्रावकों ने भक्ति भाव से ओतप्रोत हो पूजा अर्चना कर अनुष्ठान किया। इस अवसर पर आचार्य श्री ने उत्तम धर्म पर प्रवचन में विस्तार से बताते हुए कहा कि जो तपा जाए वह तप है।
उन्होंने कहा कि शरीर को सुख सुविधा देना, मन की इच्छापूर्ति करना प्राणी को अच्छा लगता है, किंतु शरीर को संयत करते हुए मन में उठी इच्छाओं का निरोध करना सम्यक तप है। जिस तरह अग्नि में तपाकर सोने का शोधन किया जाता है उसी प्रकार तप में तपकर आत्मा कुदंन सी दमकने लगती है। संसार में तो यह भी देखा जाता है कि सोने से ज्यादा कीमत उसकी भस्म की रहती है। इसका मतलब ही यह है कि तप की अग्नि में तपकर आत्मा अत्यंत कीमती हो जाती है। मन की इच्छाओं पर विजय पाना आसान बात नहीं है। मन की इच्छाओं का कलश तो कभी भरा ही नहीं जा सकता।क्योंकि ऊपर से तो वह बहुत सुंदर दिखता है पर उसके नीचे कोई आधार नहीं है।
दोपहर मे शंका समाधान संध्या को गुरू भक्ति आरती श्रावकों द्वारा की गई तथा युवा मंच के तत्वावधान में तबोला प्रतियोगिता तथा बाल्य कलाकारों द्वारा मनमोहक प्रस्तुति की गई।आज विधान मंडल पूजा अर्चना करने का सौभाग्य सुनील कुमार राजेश स्वप्निल लिलहेरिया परिवार को प्राप्त हुआ। शांति धारा करने का सौभाग्य रमेश कुमार, अतुल लिलहेरिया को तथा अभिषेक करने का सौभाग्य विमल जैन, सुनील कुमार, विशाल, विजय, टोनी, शिवांग, आरनव, विवान, सुनील, स्वप्निल, प्रकाश, पंकज, रमेशकुमार, अतुल लिलहेरिया परिवार को प्राप्त हुआ।