बता दें कि सूरज के करीब होने के कारण बुध ग्रह चमकीला है। यह ग्रह सिर्फ 88 दिनों में सूर्य की परिक्रमा कर लेता है। साथ ही इसके चुंबकीय क्षेत्र की वजह से यह काफी दिलचस्प माना जाता है। वैज्ञानिकों की मानें तो बुध में गंधक और लोहा काफी मात्रा में है। बुध ग्रह का दिन का तापमान ( temprature ) 427 डिग्री सेल्सियस होने के बाद भी इसमें से गंधक भस्म क्यों नहीं होता है? आमतौर पर ठोस गंधक 115.21 डिग्री सेल्सियस पर गलने लगती है। बावजूद इसके बुध में ऐसा क्यों नहीं होता? आखिर इस ग्रह का चुंबकीय क्षेत्र कैसे बना? बुध पर पानी कैसे मौजूद है? इन सवालों के जवाब ढूढ़ना काफी कठिन है।
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गौरतलब है कि वैज्ञानिकों ने इन सवालों के जवाब को खोजने के लिए 16 हाई टेक उपकरणों वाला एक अंतरिक्ष यान तैयार कियााा है। जिसको 2025 में बुध पर भेजा जाएगा। यह एक साझा मिशन होगा। इसमें यूरोप में तैयार की गइर् एक सैटेलाइट है, जो बुध के धरातल का नक्शा खींचेगी जबकि एक जापानी यान उसके चुंबकीय क्षेत्र की पड़ताल करेगा।
अमरीकी अंतरिक्ष यान मैसेंजर ने बुध की सतह की पड़ताल की। बुध पर पृथ्वी और मंगल की तुलना में ज्यादा लोहा है। बुध पर गंधक यानी सल्फर और क्लोरीन जैसे तत्व पाकर वैज्ञानिक हैरान हैं। बर्लिन में डीएलआर इंस्टीट्यूट ऑफ प्लेनेटरी रिसर्च के डॉ. योएर्गन हेलबर्ट इस अभियान से जुड़े हैं। वह कहते हैं, “ये ऐसे पदार्थ हैं जो इतने ज्यादा तापमान में गायब हो जाने चाहिए थे। जैसे कि गंधक तो होना ही नहीं चाहिए था। लेकिन बुध के धरातल में साढ़े चार फीसदी गंधक है। यह बड़ी हैरानी वाली बात है। तो सवाल यह है कि बुध कैसे बना और कहां पर बना।”
बर्लिन के रिसर्चरों ने एक उपकरण बनाया है जो तापीय विकिरण को मापने का काम करेगा। वैज्ञानिकों का कहना है कि धरती पर भिन्न-भिन्न चट्टानें जब उच्च तापमान के संपर्क में आती हैं तो क्या होता है? इनका जवाब बुध में भेजे जाने वाले सटैलाइट के डाटा से मिल पाएगा। दूसरे ग्रह की तरह बुध भी विशाल बादलों से बना है। कहा जाता है कि कुछ पदार्थों के छोटे छोटे टुकड़े यूं ही आपस में जुड़े। करोड़ों वर्षों की अवधि में उनका विस्तार होता गया।