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इलाज के लिए भी होता है लेन-देन, इस स्तर तक उतर गईं व्यवस्थाएं

मरीजों के भगवान ये क्या?

सागरMar 22, 2018 / 11:25 am

आकाश तिवारी

BMC hospital Merge of self-love, if spent will be special grace

BMC hospital Merge of self-love, if spent will be special grace

सागर. बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज (बीएमसी) में मरीजों से सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। यहां उन मरीजों पर डॉक्टरों की विशेष कृपा होती है, जो उनकी क्लीनिक में नियमित रूप से आते-जाते हैं, जबकि सीधे अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों पर किसी का ध्यान नहीं होता है। इस बात की खबर वरिष्ठ अधिकारियों को होने के बावजूद भी उनके द्वारा कोई कदम न उठाए जाना व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है।
मेडिसिन विभाग के भर्ती वार्ड में ऐसे कई मरीज हैं, जो बीएमसी के डॉक्टरों की क्लीनिक पर जांच कराने के बाद अस्पताल में भर्ती हुए हैं। ऐसा सिर्फ एक ही विभाग में नहीं बल्कि सर्जरी, हड्डी, नेत्र, ईएनटी आदि विभागों में भी हो रहा है। सर्जरी, अस्थी और मेडिसिन विभाग एेसे हैं, जहां भर्ती मरीजों की संख्या ज्यादा होती है। इनमें अधिकांश प्रायवेट प्रेक्टिस करने वाले डॉक्टरों के होते हैं। इनकी जांच से लेकर ऑपरेशन तक सब कुछ बहुत जल्दी हो जाता है। यहां तक की इन पर नंबर सिस्टम का नियम भी लागू नहीं होता है।
वहीं, दूसरे मरीजों को हर छोटे-छोटे काम के लिए परेशान होना पड़ता है। अस्थि रोग विभाग में एेसे कई मरीज मिल जाएंगे, जो कई दिनों से भर्ती हैं, लेकिन उनके ऑपरेशन नहीं हो पा रहे हैं। यही हाल सर्जरी विभाग में भर्ती आम मरीजों का है। वहीं ऐसे मरीजों को पलंग भी नहीं मिलते।

केस-१
मेडिसिन वार्ड में श्यामलाल भर्ती है। बीपी हाई होने के कारण उसकी याददाश्त चली गई है। परिजन सीधे उसे बीएमसी लेकर आए थे। तीन दिन पहले डॉक्टर ने सीटी स्कैन कराने को कहा था, लेकिन अभी तक उसका सीटी स्कैन नहीं हो पाया है।

केस-२
दो दिन पहले केज्युल्टी से बीमार हालत में आए एक मरीज को पलंग न मिलने से वापस केज्युल्टी ही भेजा गया। राहतगढ़ से आए शिवप्रसाद के पेट में तकलीफ थी। मेडिकल ऑफीसर द्वारा ट्रीटमेंट के बाद वार्ड भेजा गया था।

आम मरीजों के लिए सीटी स्कैन बंद
आम मरीजों के लिए सीसी स्कैन मशीन डेढ़ महीने से बंद है, लेकिन डॉक्टरों की क्लीनिक के मरीजों के लिए यह चालू हो जाती है। बुधवार को पांच मरीजों की सीटी स्कैन की गई, ये सभी प्रायवेट प्रेक्टिस करने वाले डॉक्टरों के मरीज थे। वहीं, मेडिसिन वार्ड दो, तीन में भर्ती तीन मरीजों के लिए यह मशीन बंद बताई गई। इतना ही नहीं ये मरीज जब बाहर अनुबंधित सेंटर पर जांच कराने पहुंचे तो वहां भी उनकी जांच नहीं हो पाई।

इस तरह का मामला संज्ञान में है। जल्द ही भर्ती वार्डों का जायजा लूंगा। मरीज तो मरीज है। डॉक्टर के लिए सभी एक जैसे होने चाहिए। यदि अन्य मरीजों से सौतेला व्यवहार किया जा रहा है तो मैं कार्रवाई करूंगा।
डॉ. जीएस पटेल, डीन

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