मादा भालू की नजर उस पर पड़ गई थी, वह हमला भी करने की तैयारी कर रही थी लेकिन रेस्क्यू टीम ने किसी तरह उसे नाइट हाउस की ओर भेजा। इसके बाद भी युवक बाहर निकलने के लिए तैयार नहीं था और रेस्क्यू टीम द्वारा फेंकी गई रस्सी भी नहीं पकड़ी। टीम के सदस्य जिस दौरान मादा भालू को नाइटहाउस में बंद करने का प्रयास कर रहे थे, उसी दौरान वह तेजी के साथ भागा और नर भालू के पास तक पहुंच गया। पहले तो भालू भी उसे देखने के लिए खड़ा हुआ लेकिन बाद में रेस्क्यू टीम को देखकर वह भी सिरफिरे युवक से दूर चला गया। किसी तरह युवक को बाहर निकाला गया। युवक ने अपना नाम सुभाष पटेल निवासी अमिलकी गोविंदगढ़ बताया है।
चिडियाघर में प्रवेश करने वालों से मिलने वाला शुल्क ही यहां के राजस्व का प्रमुख स्त्रोत है। यह पहला मौका है जब प्रबंधन ने आधिकारिक रूप से किसी चिन्हित व्यक्ति को प्रवेश देने पर रोक लगा दी है। कहा जा रहा है कि वह स्वयं की जान को खतरे में जानबूझकर डालता है।
कई बार जान जोखिम में डाल चुका है
पकड़े गए युवक ने पूछताछ के दौरान बताया कि इसके पहले गांव में हाइटेंशन लाइन के टॉवर में वह चढ़कर अपनी जान देने का प्रयास कर चुका है। जबलपुर के पास एक पेड़ पर भी चढ़कर घंटों पुलिस को छकाया था। बीते महीने ही प्रयागराज में भी इसी तरह वह टॉवर में चढ़ गया, जिससे घंटों मशक्कत करनी पड़ी थी।
इस पर सिरफिरे युवक का कहना है कि जब वह ऐसा करता है कि पुलिस सहित वहां पर मौजूद लोग उसके सामने हाथ जोड़ते हैं और खाने के लिए अच्छी चीजें भी देते हैं, जिसमें मजा आता है। यह सब घटनाक्रम सुनने के बाद चिडियाघर प्रबंधन ने निर्णय लिया है कि उक्त युवक को प्रवेश ही नहीं दिया जाएगा। यदि कोई उसे दिखाना चाहता है तो संबंधित को पूरी गारंटी देनी होगी।