साहूकारों से लगभग चार लाख का कर्ज लिया था
तुलसीपार निवासी लगीाग 40 वर्षीय किसान वीरेन्द्र सिंह यादव पुत्र हरिसिंह यादव तीन भाईयों में मंझला भाई था। तीनो भाईयों के संयुक्त खाते में लगभग 30 एकड़ जमीन बताई जा रही है। बीते दो-तीन वर्ष से फसलें लगातार बिगड़ रही हैं, जिससे किसान कर्ज के बोझ तले दबा हुआ था। पिछले वर्ष मई में उसने अपने इकलौते पुत्र अभिषेक का विवाह किया था, तब उसने साहूकारों से लगभग चार लाख का कर्ज लिया था।
साहूकारों के कर्ज से मुक्ति नहीं मिली
फसल बिगड़ जाने पर अपने हिस्से की दस एकड़ कृषि भूमि में से दो एकड़ कृषि भूमी बेचने के बाद भी साहूकारों के कर्ज से मुक्ति नहीं मिली। इसके अलावा किसान पर बैंक का लगभग सात लाख रुपए का कर्ज भी बताया जा रहा है। इस वर्ष लगातार बारिश से उड़द पूरी तरह बर्बाद हो गई, पठार की भूमी पर बोई सोयाबीन की कटाई मजदूर लगाकर शुक्रवार को कराई थी।
एक पुत्र के अलावा दो पुत्रियां भी हैं
शनिवार को कटी फसल को एकत्रित करवाने के बाद थ्रेसिंग कराकर देखा तो उसमें नाम मात्र का सोयाबीन निकलने पर किसान घबरा गया। इसी बीच दोपहर में बारिश होने लगी, तब किसान ने अपने मजदूरों भोजन करने के लिए घर भेज दिया। फिर नीचे वाले खेत पर चला गया। उसे मजदूरों को को भी पैसा देना अखर रहा था। इसी सदमें में उसने एक छोले के पेड़ पर फांसी का फंदा बनाकर आत्महत्या कर ली। मृतक किसान वीरेंद्र सिंह का एक पुत्र के अलावा दो पुत्रियां भी हैं।
कर्ज माफी का नहीं मिला लाभ
मृतक के छोटे भाई राजेश यादव ने बताया कि सोयाबीन की फसल से उपज नहीं निकलने से उनका भाई परेशान हो गया था। बैंक का लगभग सात लाख और साहूकार का लगभग चार लाख रुपए का कर्ज था। सरकार द्वारा घोषित दो लाख रुपए की कर्जमाफी का लाभ भी उसे नहीं मिला था। इसी चिंता में भाई वीरेंद्र सिंह यादव ने आत्महत्या कर ली।
सूचना पर मौके पर पहुंचकर किसान को फंदे से नीचे उतरवाकर पीएम के लिए भेजा है। किसान ने क्यों फांसी लगाई इसकी जांच की जा रही है। परिजनों के सुबह बयान दर्ज किए जाएंगे। उसके बाद ही कुछ कहा जा सकता है।
वीरेंद्र सिंह, थाना प्रभारी बेगमगंज