राजधानी में यह पहला मामला नहीं
अस्पतालों के आंकड़े बताते हैं, कि शहर से रोजाना 8-10 नए डॉग बाइट के मरीज आते हैं, वहीं 20-25 पुराने मरीज भी रोजाना अस्पतालों में देखने को मिलते हैं। इसके बावजूद निगम अमला इन पर नियंत्रण करने में नाकाम दिखाई दे रहा है। दो वर्षों पूर्व निगम के अधिकारियों की तरफ से टैगोर नगर में ही आवारा कुत्तों को पकड़कर रखने के लिए अलग से जगह निर्धारित करने की बात कही गई थी, जिस पर अब तक एक कदम भी उनकी ओर से नहीं बढ़ाया गया है। ऐसे में राजधानी में आए दिन लोग इनकी हैवानियत का शिकार हो रहे हैं और जिम्मेदार हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। डॉ. भीमराव आंबेडकर के आंकड़े बताते हैं, कि यहां रोजाना 8-10 नए मरीज डॉग बाइट के इलाज के लिए आते हैं। वहीं जिला अस्पतालों में भी सही हाल हैं।कल से चलाया जाएगा अभियान
इस मामले की सूचना मिली है, कल हमारी टीम जाकर विशेष अभियान चलाएगी। हमारे पास पर्याप्त मात्रा में कर्मी और संसाधन हैं। इनमें ऐसे लोग भी शामिल हैं, जो कि पागल कुत्तों को भी पकडऩे में सक्षम हैं।
डॉ. बी.के. मिश्रा, स्वास्थ्य अधिकारी, नगर निगम