उन्होंने कह दिया कि महाराज जी जब तक चाहें पूजा करें। पूजा के बाद मैं दर्शन करूंगा। इस प्रत्युत्तर से दीवान जी हार गए। कुछ देर बाद वे ठहाका लगाते हुए अर्जुन सिंह के पाए आए और उन्हें लेकर कमरे में गए। फिर जो कुछ हुआ वह सभी जानते हैं। संत पवन दीवान ने अर्जुन सिंह की राजनीति को अप्रत्यक्ष रूप से आगे बढ़ाया। छत्तीसगढ़ के अजेय नेता विद्याचरण को हराया। राजनीति के कुशल खिलाड़ी अर्जुन सिंह ने उन्हें सांसद का टिकट दिलवाया। वे महासमुंद से दो बार जीते।
राजीव गांधी और सोनिया गांधी जब छत्तीसगढ़ के कुम्हाड़ीघाट आए तब पवन दीवान को उन्होंने खूब महत्व दिया, लेकिन राजीव गांधी के चले जाने के बाद पवन दीवान की अहमियत कम हो गई और वे हाशिए पर चले गए। फिर से वे भागवत बांचने लगे और उसमें भी संतुष्टि नहीं मिली तो भारतीय जनता पार्टी में चले गए। कांग्रेस में भी वे गो सेवा आयोग के अध्यक्ष थे।
छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने उन्हें सम्मानपूर्वक आयोग का अध्यक्ष बनाया था। डॉ. रमन सिंह ने भी उन्हें गो सेवा आयोग का अध्यक्ष बनाए रखा, लेकिन दीवान जी अपने पुराने वृहद स्वरूप को याद कर विचलित हो जाते थे। वे फिर पार्टी बदलकर कांग्रेस में चले आए।