कुट्टी ने कहा कि संघ और भाजपा कार्यकर्ताओं को अपने बचाव के लिए हमला करना जरूरी है। हमने अपने लोगों से तैयार रहने को कहा है क्योंकि किसी भी समय उन्हें निशाना बनाया जा सकता है।
जब उनसे पूछा गया कि संघ प्रमुख मोहन भागवत ने खुद ही शांति वार्ता में हिस्सा लेने के लिए कहा तो कुट्टी ने कहा कि हम बातचीत को तैयार है और इस प्रक्रिया के खिलाफ नहीं।
भागवत ने शांति वार्ता में हिस्सा लेने को कहा…
बता दें कि राज्य में चल रही राजनीतिक हिंसा पर विराम लगाने के लिए केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन ने सीपीएम औरर भाजपा व संघ नेताओं के बीच ३१ जुलाई को बैठक बुलाई थी। बैठक में फैसला लिया गया कि हिंसाग्रस्त तीन जिलों में शांति को बढ़ाने के लिए आगे भी नियमित रूप से ऐसी बैठकें बुलाई जाती रहेंगी।
सूत्रों के अनुसार संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भी ने हिंसा को रोकने के लिए शांति वार्ता में हिस्सा लेने को कहा है।
1940 से ही केरल में संघ और कम्यूनिस्ट पार्टी के कार्यकर्ताओं के बीच भिडंत की घटना देखी गयी है। 40 के दशक में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ केरल में अपनी उपस्थिति को लेकर गतिविधियां बढ़ा रही थी। उस दौरान टकराव की घटनाएं देखने को मिली। आरएसएस कार्यकर्ताओं के मुताबिक 1948 में तिरूअंतपुरम में गोलवलकर की एक सभा में हमला हुआ। तब से ही दो परस्पर विरोधी विचारधारा के बीच संघर्ष जारी है।
कन्नूर जिले में टकराव की सबसे ज्यादा घटनाएं
इतिहासकार मानते हैं कि केरल के कन्नूर जिले में सबसे ज्यादा राजनीतिक हिंसा की घटना हुई है। आरटीआई के खुलासे से पता चला है कि कन्नूर में जनवरी 1997 से मार्च 2008 के बीच 56 राजनीतिक कार्यकर्ताओं की हत्या हुई। सीपीएम नेता वी एस अच्युतानंद भी कन्नूर को राजनीतिक हिंसा का गढ़ मानते हैं। बताया जा रहा है कि 1977 में आपाताकाल के बाद आरएसएस के शाखाओं में जबर्दस्त वृद्धि देखने को मिली।