विदेश जाने के लिए संगीत को चुना गगन ने कहा कि पढ़ाई करते हुए कुछ लोगों से पता चला कि संगीत से जुड़े कलाकार विदेश तक पहुंच जाते हैं। ऐसे में मैंने भी संगीत संस्थान जॉइन किया और गिटार के नाम पर मैंने हवाइन गिटार मिला। लेकिन एक-दो महीने बाद ही इसे छोड़ दिया। इसके पिता सीए की पढ़ाई करने के लिए कहने लगे, लेकिन मैंने उनसे रिक्वेस्ट करके थिएटर से जुडऩे की इजाजत मांगी और परमिशन दे दी। वहां से मैं जेकेके की चिल्ड्रन थिएटर वर्कशॉप से जुड़ा, यहां से ट्रेनिंग ली और फिर शहर के वरिष्ठ कलाकारों के नाटकों में बैक स्टेज जुडऩे लगा। यहां के एक्सपीरियंस से लाइटिंग के प्रति समझ बढ़ाने लगा। इस दौरान कुलदीप माथुर को लाइटिंग में असिस्ट करने लगा। सरताज नारायण माथुर ने अपने नाटकों में मौका दिया और फिर थिएटर डायरेक्टर्स का रेस्पॉन्स मिलने लगा और मुझे अपने नाटकों से जोडऩे लगे।
चिल्ड्रन थिएटर और लाइटिंग एस वासुदेव सिंह से लेकर जयरूप जीवन, साबिर खान जैसे नामचीन थिएटर डायरेक्टर्स ने लाइट डिजाइन के लिए मौका दिया। मेरे काम की वजह से जवाहर कला केन्द्र में ऑफिशियल लाइट डिजाइन के लिए बुलाया जाने लगा। मैंने तब एक्टिंग से ज्यादा लाइट डिजाइन की तरफ ध्यान दिया। इसी का परिणाम रहा कि अब तक ५० से ज्यादा प्ले और २०० से ज्यादा शो में लाइटिंग कर चुका हूं। इसी दौरान चिल्ड्रन थिएटर की तरफ झुकाव हुआ और थिएटर इन एजुकेशन के क्षेत्र में काम करने लगा। अब तक १५ हजार से ज्यादा बच्चों को थिएटर की शिक्षा दे चुका हूं और क्यूरियो संस्था के तहत १५०० बच्चों को थिएटर से जोडऩे में कामयाब हुआ हूं। मेरे लिए अब तक का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट कॉमनवेल्थ गेम्स में लाइटिंग करने का रहा है। यह कार्य संस्कृति मंत्रालय की तरफ से मिला था।