एनडीए उम्मीदवारों की घोषणा जल्द संभव
एनडीए बहुत जल्दी अपने उम्मीदवारों के नाम घोषित कर सकता है। इसके पास तीन मार्च तक का समय बाकी है। कहा जा रहा है कि गांधी मैदान में तीन मार्च को होने वाली रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सभी एनडीए उम्मीदवारों को मंच पर एक साथ पेश कर सकते हैं। इस दिन प्रधानमंत्री और जदयू अध्यक्ष व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक साथ रैली के मंच पर मौजूद होंगे। दूसरी ओर महागठबंधन में अभी कुछ भी तय नहीं हो पाया। ‘हम’ नेता जीतनराम मांझी ने घटक दलों की एक समन्वय समिति गठित करने की मांग कर रखी है। हालांकि इस दिशा में अभी तक कोई पहल नहीं हुई।
मांझी-कुशवाहा मंझधार में
मांझी ने आरजेडी की मदद से अपने पुत्र संतोष मांझी को विधान परिषद तो भिजवा दिया पर अब उनके दल में बिखराव के हालात हैं और वह खुलकर कह रहे हैं कि यदि सम्मानजनक समझौता नहीं हुआ तो उनके सामने और भी विकल्प हैं। जा़हिर सी बात है कि वह फिर एनडीए का दामन थाम लेने में देर नहीं करने वाले। एनडीए से अलग हुए रालोसपा के उपेंद्र कुशवाहा का भी सब्र टूट रहा है। वह दल के प्रदेश अध्यक्ष नागमणि से परेशान रहे और उन्हें अब हटा भी दिया। उपेंद्र कुशवाहा को कभी भाजपा तीन सीटें दे रही थीं पर वह नहीं माने और महागठबंधन का दामन थाम लिया। अब वह परेशान हैं कि महागठबंधन में कहीं कुछ हो ही नहीं रहा। कितनी सीटें मिल पाएंगी यह कहना बड़ा कठिन हो गया है।
कांग्रेस भी बना रही दबाव
इधर कांग्रेस की आकांक्षाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। पार्टी के नेता अलग—अलग बयानबाजी कर रहे हैं। इन्हें कम से कम पंद्रह सीटें चाहिए लेकिन इसकी गारंटी देने वाला कोई नहीं। कांग्रेस के अंदरूनी स्रोतों से मिल रही जानकारी के मुताबिक कांग्रेस के कई दिग्गज नेता अलग तैयारियां कर रहे हैं। इसके अनुसार पार्टी मांझी, कुशवाहा और अन्य छोटे दलों के साथ मिलकर अपना अलग गठबंधन बना सकते हैं। हालांकि इस सोच में अभी तक कोई ठोस पहल होती नहीं दिखी है।
आसान नहीं सीट शेयरिंग
आरजेडी की ओर से अभी तक सीट शेयरिंग पर कोई बात तक नहीं की गई। कांग्रेसी नेता बेशक यह कह रहे कि आरजेडी—कांग्रेस पंद्रह—पंद्रह सीटों पर लड़े और शेष दलों में दस सीटों का बंटवारा कर दिया जाए। इस हालत में वाम दलों को मिलाकर कुल छः पार्टियों के बीच सीट शेयरिंग आसान नहीं रहेगी। 2015 के चुनाव में 0.61 फीसदी वोट हासिल करने वाली माकपा एक सीट लेकर मान भी जाए पर भाकपा और भाकपा(माले)को यह शायद ही मंजूर हो पाएगा। भाकपा और भाकपा(माले)को कम से कम दो—दो सीटें चाहिए। मुकेश साहनी की पार्टी भी दो सीटों से कम पर सहमत नहीं होने वाली है। अब देखना यह होगा कि चुनाव घोषणा से पूर्व भाजपा से लड़ने में महागठबंधन का नेतृत्व करने वाली आरजेडी किस करिश्माई जुगाड़ से सभी घटक दलों को संतुष्ट कर सीट शेयरिंग फॉर्मूला तय कर पाती है।