शिशु वार्ड में 20 बच्चे हुए परेशान
जिला चिकित्सालय के शिशु वार्ड में उस समय मासूम बच्चे परेशान होते दिखे जब सुबह 11.30 बजे अचानक बिजली गुल हो गई। अचानक बिजली जाने से बच्चों के साथ उनके परिजन भी परेशान दिखे। समाजसेवी अर्जुनसिंह जायसवाल रविवार को अपने बेटी को लेकर अस्पताल पहुंचे थे। बच्चे की शिशु वार्ड में भर्ती कराया गया था। इस बीच अचानक लाइट चल गई। जायसवाल ने बताया कि मेरी बेटी को सर्दी, खासी, उल्टी, दस्त एक साथ होने लगी थी। 5 महीने की बच्ची को मशीन से कृत्रिम सांस दी जा रही है। पूरे वार्ड में एक ही मशीन है और वार्ड में 5-6 और बच्चे भर्ती थे। बिजली नहीं होने से सभी परेशान थे। मशीन भी नहीं चल रही थी। कोई जिम्मेदार जवाब देने तक को तैयार नहीं था। चौकाने वाली बात तो यह थी स्टॉफ नर्स द्वारा दूसरे वार्ड में रखा गैस सिलेंडर लाने तक के लिए बच्चों के परिजन को कहा गया। मजबूरी में और सही इलाज हो जाए इस डर से परिजन ही अस्पताल कर्मचारी का काम करते दिखे। मैंने सीएमएचओ डा. एसएस बघेल को समस्या बताई तो उन्होंन यह कहकर टाल दिया कि दिखवाता हूं, लेकिन दोपहर तीन बजे तक कोई मरीजों की स्थिति देखने वहां नहीं पहुंचा। दोपहर 3 बजे लाइट आने पर बच्चों सहित परिजनों ने राहत की सांस ली। बिजली नहीं होने से वार्डों में भी अंधेरा परसा हुआ था।
जिला चिकित्सालय के शिशु वार्ड में उस समय मासूम बच्चे परेशान होते दिखे जब सुबह 11.30 बजे अचानक बिजली गुल हो गई। अचानक बिजली जाने से बच्चों के साथ उनके परिजन भी परेशान दिखे। समाजसेवी अर्जुनसिंह जायसवाल रविवार को अपने बेटी को लेकर अस्पताल पहुंचे थे। बच्चे की शिशु वार्ड में भर्ती कराया गया था। इस बीच अचानक लाइट चल गई। जायसवाल ने बताया कि मेरी बेटी को सर्दी, खासी, उल्टी, दस्त एक साथ होने लगी थी। 5 महीने की बच्ची को मशीन से कृत्रिम सांस दी जा रही है। पूरे वार्ड में एक ही मशीन है और वार्ड में 5-6 और बच्चे भर्ती थे। बिजली नहीं होने से सभी परेशान थे। मशीन भी नहीं चल रही थी। कोई जिम्मेदार जवाब देने तक को तैयार नहीं था। चौकाने वाली बात तो यह थी स्टॉफ नर्स द्वारा दूसरे वार्ड में रखा गैस सिलेंडर लाने तक के लिए बच्चों के परिजन को कहा गया। मजबूरी में और सही इलाज हो जाए इस डर से परिजन ही अस्पताल कर्मचारी का काम करते दिखे। मैंने सीएमएचओ डा. एसएस बघेल को समस्या बताई तो उन्होंन यह कहकर टाल दिया कि दिखवाता हूं, लेकिन दोपहर तीन बजे तक कोई मरीजों की स्थिति देखने वहां नहीं पहुंचा। दोपहर 3 बजे लाइट आने पर बच्चों सहित परिजनों ने राहत की सांस ली। बिजली नहीं होने से वार्डों में भी अंधेरा परसा हुआ था।
कलेक्टर की सख्ती के बाद भी नहीं सुधरे हालात
जिला चिकित्सालय में व्याप्त अव्यवस्थाओं को गंभीरता से लेते हुए कलेक्टर राजीव रंजन मीना ने कई बार अस्पताल को औचक निरीक्षण किया। उन्हें हालात में विशेष सुधार नहीं दिखा। बार बार सख्त हिदायत देने के बाद भी अस्पताल प्रबंधन सुधरने को तैयार नहीं है। रविवार को भी ऐसे ही हालात दिखाई दिए। बिस्तरों पर न तो चादर बिछी थी और न ही फटे हुए गद्दे ही बदले गए थे। मरीजों को औढऩे तक के लिए चादर नहीं दी गई थी। मरीजों के साथ एक-एक बिस्तर पर दो-दो बैठ हुए थे।
जिला चिकित्सालय में व्याप्त अव्यवस्थाओं को गंभीरता से लेते हुए कलेक्टर राजीव रंजन मीना ने कई बार अस्पताल को औचक निरीक्षण किया। उन्हें हालात में विशेष सुधार नहीं दिखा। बार बार सख्त हिदायत देने के बाद भी अस्पताल प्रबंधन सुधरने को तैयार नहीं है। रविवार को भी ऐसे ही हालात दिखाई दिए। बिस्तरों पर न तो चादर बिछी थी और न ही फटे हुए गद्दे ही बदले गए थे। मरीजों को औढऩे तक के लिए चादर नहीं दी गई थी। मरीजों के साथ एक-एक बिस्तर पर दो-दो बैठ हुए थे।
जनरेट तो है, क्यों नहीं चले पता नहीं
जिला अस्पताल में जनरेट तो है। वो भी अच्छी स्थिति में हैं। शिशु वार्ड में तो बिजली की पर्याप्त सुविधा है। फिर भी बिजली क्यों बंद रही इस बारे में मुझे नहीं पता।
– बीएल बोरीवाल, सिविल सर्जन
जिला अस्पताल में जनरेट तो है। वो भी अच्छी स्थिति में हैं। शिशु वार्ड में तो बिजली की पर्याप्त सुविधा है। फिर भी बिजली क्यों बंद रही इस बारे में मुझे नहीं पता।
– बीएल बोरीवाल, सिविल सर्जन