गौरतलब है कि राज्य सरकार ने गत वर्ष नागौर जिले को नागरिक सुरक्षा में शामिल किया था, जिसके तहत आपदा प्रबंधन के अंतर्गत खोज एवं बचाव कार्य करने के लिए मंगलवार को 50 नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवकों का चयन करने के लिए इच्छुक आवेदकों को राजकीय स्टेडियम में बुलाया गया था, ताकि उनका चयन कर बुनियादी एवं सेवा प्रशिक्षण दिया जा सके। इसके लिए गत 16 फरवरी को समाचार पत्रों में सूचना प्रसारित कर नागौर जिले के मूल निवासी एवं निर्धारित पात्रता रखने वाले (वार्डन सेवा में तैराक, वाहन चालक, कम्प्यूटर ऑपरेटर, मोटर मैकेनिक, सफाईकर्मी, मेशन ऑपरेटर आदि) सदस्यों को चयन के लिए 19 फरवरी को बुलाया गया। चयनित स्वयंसेवकों को 28 फरवरी तक नागरिक सुरक्षा का बुनियादी एवं सेवा प्रशिक्षण राजकीय स्टेडियम में दिया जाएगा।
समाचार पत्रों में सूचना प्रसारित करने के चलते मंगलवार को स्टेडियम में करीब साढ़े 3 हजार बेरोजगार युवक-युवतियां पहुंच गए। जिन्हें देखकर विभागीय अधिकारियों ने छंटनी करने के लिए बेरोजगारों को दौड़ाना शुरू कर दिया। दौड़ में छंटनी करने के बाद दस्तावेज देखकर चयन किया गया, इसमें एनसीसी, स्काउट आदि से जुड़े युवाओं को प्राथमिकता दी गई। इसके कारण कुछ युवा दौड़ में आगे रहने के बावजूद मनोनीत नहीं हो पाए।
चयन प्रक्रिया पर लगाए प्रश्न चिह्न
नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवक के लिए चयन से वंचित युवक-युवतियां शाम को कलक्ट्रेट पहुंचे तथा कलक्टर दिनेशकुमार यादव को ज्ञापन सौंपकर चयन प्रक्रिया में धांधली का आरोप लगाया। ललित भाटी, पवन कुमार, रवि कच्छावा, कुलदीप, प्रमोद कुमार, सुभाष, संतोष आदि ने ज्ञापन में बताया कि चयन करने वाले कार्मिकों ने बिना किसी योग्यता के सिर्फ दौड़ करवाकर स्वयंसेवक ले लिए, जबकि कुछ ऐसे भी थे, जिन्होंने दौड़ में भाग नहीं लिया, लेकिन उनके दस्तावेज जांच किए गए। रूण से आए नफीस व नागौर के कुलदीप ने बताया कि दौड़ में एक ग्रुप से दो राउण्ड करवाए तो दूसरे ग्रुप से चार तथा किसी से एक राउण्ड ही करवाया। नागौर से आए पूनमचंद ने आरोप लगाया कि आपदा प्रबंधन विभाग में लगे एक कर्मचारी के चार भाइयों को न तो दौड़ में शामिल किया और न ही दस्तावेज जांचे, सीधे ही चयन कर लिया गया।
बाहर निकालने के लिए पुलिस की धमकी दी
राठौड़ी कुआं से आई किरण ने बताया कि अखबार में आई सूचना के आधार पर वे स्वयंसेवकों की चयन प्रक्रिया में शािमल हुए। दिनभर भूखे-प्यासे बैठे रहे, चयन प्रक्रिया के लिए पहले दौड़ाया। दौड़ में जो प्रथम, द्वितीय या आगे रहे, उन्हें दोपहर तीन बजे दस्तावेज जांच के लिए वापस बुलाया, लेकिन जब 3 बजे गए तो न तो दस्तावेज देखे और न ही चयन किया, विरोध किया तो अधिकारी बोले – बाहर चले जाओ, नहीं तो पुलिस बुला लेंगे। यह कोई बात नहीं हुई। पुलिस हमारे लिए भी है। जब हमें लेना ही नहीं था तो बुलाया क्यों।
यह भर्ती नहीं, सेवा का काम
नागौर जिले में 50 नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवकों का मनोनयन करने के लिए मंगलवार को इच्छुक आवेदकों को बुलाया था, लेकिन अधिक आवेदक आने के कारण छंटनी के लिए दौड़ करानी पड़ी। यह कोई भर्ती नहीं है, केवल आपदा प्रबंधन के लिए स्वयंसेवकों का मनोनयन करना है, जिसमें 10 दिन प्रशिक्षण दिया जाएगा और प्रशिक्षण लेने वाले स्वयंसेवकों को प्रतिदिन के 100 रुपए दिए जाएंगे। इसके बाद आवश्यकता पडऩे पर रेस्क्यू ऑपरेशन के समय स्वयंसेवकों को बुलाया जाएगा। उस समय उन्हें प्रतिदिन 590 रुपए भत्ता दिया जाएगा।
इंद्रमल बुनकर, डिप्टी कंट्रोलर, आपदा प्रबंधन, जयपुर