क्या है पूरा मामला
आपको बता दें कि सीबीआई के अंदर दो बड़े शीर्ष अधिकारियों के बीच विवाद हो गया था। सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा ने दूसरे नंबर के अधिकारी राकेश अस्थाना पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। तो इसके जवाब में अस्थाना ने भी कथित तौर पर दो करोड़ रुपए के घुस लेने का आरोप वर्मा पर लगाया। इसके बाद से सीबीआई के अंदर घमासान मच गया। सरकार ने सीवीसी के कहने पर दोनों अधिकारियों को लंबी छुट्टी पर भेज दिया और साथ ही नागेश्वर राव को अंतरिम निदेशक बना दिया। सरकार के इस फैसले पर राजनीति भी गर्मा गई। कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने सरकार के फैसले के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। एनजीओ कॉमनकॉज और आलोक वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में सरकार के फैसले के खिलाफ याचिका दायर की। इसपर पहले सुनवाई करते हुए सरकार के फैसले को कोर्ट ने कुछ सही पाया ओर कुछ में जांच की बात कही। अब मंगलवार को एक बार फिर से इस पूरे मामले में सुप्रीम कोर्ट फैसला सुनाएगा।
SC: धारा 66(A) के तहत की गिरफ्तारी, आदेश देने वाले को ही होगी जेल
राजनीतिक घमासान जारी
बता दें कि सीबीआई के अंदर मचे घमासान को लेकर राजनीतिक सरगर्मी भी बढ़ी हुई है। सदन से लेकर सड़क तक विपक्ष सरकार के इस फैसले पर सवाल खड़े कर रही है। विपक्ष का आरोप है कि सरकार संवैधानिक संस्थाओं का राजनीतिकरण कर खत्म करने का काम कर रही है। हालांकि सरकार विपक्ष के इन सभी आरोपों को खारिज करते हुए इसे विपक्ष की हताशा करार दिया।