मधुबनी इलाके का दौरा करने पर महसूस होता है कि मतदाताओं के झुकाव का स्पष्ट विभाजन है। एनडीए से अलग हुए उपेन्द्र कुशवाहा अपनी जाति के वोटों को गोलबंद करने आए थे लेकिन कुशवाहा मतदाताओं ने उन्हें साफ कह दिया कि वो उनके साथ नहीं है। विकासशील इंसान पार्टी के टिकट के बदले पैसे लिए जाने के आरोप भी लग रहे हैं। मधुबनी के पास शादी विवाह की तैयारी में एक विवाह स्थल पर जुटे युवाओं से बात की तो पता लगा कि वो मतदान और विवाह दोनों में ही योगदान करने आए हैं। इन युवाओं का कहना था कि इस इलाके में कुशवाहा मत अच्छी संख्या में है। दिल्ली के पास नोएडा में काम करने वाले नागेन्द्र महतो का कहना था कि वर्तमान में मोदी का किसी के पास विकल्प नहीं है। जो काम चल रहे हैं उन्हें पूरा करने के लिए मोदी को एक मौका देना तो बनता ही है।
मधुबनी शहर से एक किमी पहले ही पान की दूकान पर चौपाल जमी नजर आती है। रुकते ही पूछते हैं मीडिया से हो। हामी भरते ही पहले पान आगेकरते हैं और बातचीत का पिटारा खुल जाता है। सबसे अच्छी बात यहां पर यह दिखाई दी कि हराने वाले और जिताने वाले दोनों ही एक साथ बैठे थे। सरकारी स्कूल में अध्यापक शौकीन भाई कहते हैं कि देखिए, कौम का फैसला है कि मोदी को वोट नहीं देना है। प्रत्याशी कौन है कैसा है, इससे किसी को मतलब नहीं है। समस्या ये है कि इतने सारे वोट के दावेदार हैं कि किसे दें समझ में नहीं आ रहा। मतदान के दिन जाकर ही स्पष्ट होगा। जो मजबूत होगा उसे दे देंगे। रविनंदन झा पान लगाते हुए कहते हैं कि अभी कोई खास मुद्दा नहीं है। सडक़ों और विकास का काम हुआ है। सरकार योजनाओं के पैसे खाते में डाल रही है। राष्ट्रवाद सब पर हावी है और मोदी के समर्थन में लोग हैं। तीस साल से कांग्रेस को वोट दे रहे घनश्याम कुशवाहा कहते हैं कि पक्का कांग्रेसी हूं लेकिन वोट अबकि बार मोदी को दूंगा।
एक बात और कहते हैं यहां के लोग। शराबबंदी के कारण गरीब लोग परेशान है। पीने और बेचने वाले गरीबों को पुलिस पकड़ लेती है और फिर उनका शोषण करती है। बड़े लोग तो प्रभाव और पैसे के बल पर छूट जाते हैं। इसका खामियाजा विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार को भूगतना पडेगा लेकिन अभी देश का चुनाव है। लोग कहते हैं कि यहां अभी हल्का भारी किसी को नहीं कह सकते। मतदान के एक दो दिन पहले ही पता लगेगा कि लोग किधर जाएंगे।