अभी तक राजनीति में इन पिछड़ी जातियों की भागीदारी बहुत कम है, लेकिन अब इन्हें चुनाव में आरक्षण का लाभ मिलेगा। उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जातियों के लिए लोकसभा की 70 में 17 और विधानसभा की 403 सीटों में से 86 सीटें रिजर्व हैं। इनमें इन जातियों को चुनाव लड़ने का अवसर मिलेगा। इसके अलावा अब यह लोग अब एससी-एसटी एक्ट के दायरे में भी आयेंगे। मतलब अगर कोई सवर्ण इनकी पिटाई करता है तो आरोपित की तुरंत गिरफ्तारी होगी। पुलिस के खिलाफ यह राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग का दरवाजा भी खटखटा सकते हैं। सभी सरकारी संस्थानों और नौकरियों में भी आरक्षण का लाभ मिलेगा। ओबीसी को भले ही 27 फीसदी आरक्षण प्राप्त है, लेकिन इसमें तीन हजार से अधिक जातियां हैं। इसके मुकाबले अनुसूचित जाति में कम जातियां हैं और 21 फीसदी आरक्षण है।
पिछले करीब दो दशक से कई सरकारें इन 17 जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने की कवायद कर चुकी हैं, लेकिन सफलता नहीं मिलीं। सपा और बसपा सरकार में भी इन्हें अनुसूचित जाति में शामिल तो किया गया, लेकिन यह फैसला परवान न चढ़ सका। दरअसल, पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की इस कोशिश पर कोर्ट ने स्टे लगा दिया था, जो कि कुछ महीने पहले हट गया है। इसके बाद यह सरकारी आदेश जारी किया गया है। हालांकि, इस मामले पर अभी आखिरी फैसला इलाहाबाद हाईकोर्ट का आना बाकी है।
कहार, कश्यप, केवट, मल्लाह, निषाद, कुम्हार, प्रजापति, धीवर, बिंद, भर, राजभर, धीमर, बाथम, तुरहा, गोडिया, मांझी व मछुआ। केशव प्रसाद मौर्य बोले
17 ओबीसी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करना अखिलेश यादव और मायावती के बस की बात नहीं थी। यह सिर्फ भाजपा ही ऐसे काम कर सकती है। क्योंकि भाजपा सरकार हमेशा सबका साथ सबका विकास करती है और हर वर्ग को साथ लेकर चलती है।- केशव प्रसाद मौर्य, डिप्टी सीएम यूपी