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चुनाव से पहले सीएम योगी के इस मास्टर स्ट्रोक ने बिगाड़ा सपा-बसपा का खेल

locationलखनऊPublished: Jun 29, 2019 07:21:06 pm

Submitted by:

Hariom Dwivedi

– मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मास्टर प्लान से विरोधी खेमा चित- राज्य सरकार के इस फैसले को पिछड़ी जातियों को लुभाने के तौर पर देखा जा रहा है- य़ूपी सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए राज्य की 17 अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति की कैटेगरी में शामिल करने का जारी किया आदेश

Yogi Adityanath

चुनाव से पहले सीएम योगी के इस मास्टर स्ट्रोक ने बिगाड़ा सपा-बसपा का खेल

लखनऊ. उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने उपचुनाव से पहले मास्टर स्ट्रोक (Master Stroke) खेला है। सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए राज्य की 17 अति पिछड़ी जातियों (ओबीसी) को अनुसूचित जाति की कैटेगरी में शामिल करने का आदेश जारी किया है। यह फैसला अदालत के उस आदेश के अनुपालन में जारी किया गया है, जिसमें कहा गया था कि अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति का जन्म प्रमाण पत्र जारी किया जाये। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो बीते दिनों में सपा-बसपा के प्रति पिछड़ी जातियों में अविश्वास बढ़ा है और अब 17 ओबीसी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने के फैसले का सीधा लाभ आने वाले समय में भी भारतीय जनता पार्टी को मिलेगा, जिसका नुकसान सपा-बसपा को हो सकता है।
राज्य सरकार के इस फैसले को पिछड़ी जातियों को लुभाने के तौर पर देखा जा रहा है। राजनीतिक जानकार कहते हैं कि योगी सरकार के इस फैसले से आने वाले उपचुनाव और विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को फायदा मिल सकता है। फिलहाल, अभी तक सरकार के इस फैसले पर सपा और बसपा की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन माना जा रहा है कि इस फैसले से उत्तर प्रदेश की राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ेंगी जरूर।
राज्यपाल राम नाईक ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा अधिनियम 1994 की धारा 13 के अधीन शक्ति का प्रयोग करके इसमें संशोधन किया है। इस फैसले के बाद प्रमुख सचिव समाज कल्याण मनोज सिंह की ओर से सभी कमिश्नर और डीएम को आदेश जारी किया गया है। इस आदेश में कहा गया है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में इस पर जारी जनहित याचिका पर पारित आदेश का अनुपालन सुनिश्चित किया जाये। इन जातियों को परीक्षण और सही दस्तावेजों के आधार पर अनुसूचित जाति का जाति प्रमाण पत्र जारी किया जाये।
अब क्या-क्या लाभ मिलेंगे?
अभी तक राजनीति में इन पिछड़ी जातियों की भागीदारी बहुत कम है, लेकिन अब इन्हें चुनाव में आरक्षण का लाभ मिलेगा। उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जातियों के लिए लोकसभा की 70 में 17 और विधानसभा की 403 सीटों में से 86 सीटें रिजर्व हैं। इनमें इन जातियों को चुनाव लड़ने का अवसर मिलेगा। इसके अलावा अब यह लोग अब एससी-एसटी एक्ट के दायरे में भी आयेंगे। मतलब अगर कोई सवर्ण इनकी पिटाई करता है तो आरोपित की तुरंत गिरफ्तारी होगी। पुलिस के खिलाफ यह राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग का दरवाजा भी खटखटा सकते हैं। सभी सरकारी संस्थानों और नौकरियों में भी आरक्षण का लाभ मिलेगा। ओबीसी को भले ही 27 फीसदी आरक्षण प्राप्त है, लेकिन इसमें तीन हजार से अधिक जातियां हैं। इसके मुकाबले अनुसूचित जाति में कम जातियां हैं और 21 फीसदी आरक्षण है।
पहले भी सरकारें कर चुकी हैं पहल
पिछले करीब दो दशक से कई सरकारें इन 17 जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने की कवायद कर चुकी हैं, लेकिन सफलता नहीं मिलीं। सपा और बसपा सरकार में भी इन्हें अनुसूचित जाति में शामिल तो किया गया, लेकिन यह फैसला परवान न चढ़ सका। दरअसल, पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की इस कोशिश पर कोर्ट ने स्टे लगा दिया था, जो कि कुछ महीने पहले हट गया है। इसके बाद यह सरकारी आदेश जारी किया गया है। हालांकि, इस मामले पर अभी आखिरी फैसला इलाहाबाद हाईकोर्ट का आना बाकी है।
इन जातियों को होगा फायदा
कहार, कश्यप, केवट, मल्लाह, निषाद, कुम्हार, प्रजापति, धीवर, बिंद, भर, राजभर, धीमर, बाथम, तुरहा, गोडिया, मांझी व मछुआ।

केशव प्रसाद मौर्य बोले
17 ओबीसी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करना अखिलेश यादव और मायावती के बस की बात नहीं थी। यह सिर्फ भाजपा ही ऐसे काम कर सकती है। क्योंकि भाजपा सरकार हमेशा सबका साथ सबका विकास करती है और हर वर्ग को साथ लेकर चलती है।- केशव प्रसाद मौर्य, डिप्टी सीएम यूपी
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