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कोलकाता

न्यामित्र के सुझावों से केंद्र और बंगाल सरकार सहमत

कोलकाता के एक स्कूल के दो अध्यापकों के खिलाफ यौन दुर्व्यवहार का मामला की पर सुनवाई
 

कोलकाताNov 17, 2018 / 10:46 pm

Manoj Singh

kolkata

न्यामित्र के सुझावों से केंद्र और बंगाल सरकार सहमत

केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) कौशिक चंदा ने कोर्ट को बताया कि ‘बच्चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा अधिनियम’ (2009) में पहले ही स्कूली छात्रों की सुरक्षा का प्रावधान है, फिर भी केंद्र सरकार न्यायमित्र के बताए कदमों (स्टैंडर्ड ऑफ प्रोसीजर) से सहमत है। राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त एडवोकेट जनरल अभ्रतोष मजूमदार ने भी मामूली बदलावों के साथ न्यायमित्र के दिशा-निर्देशों पर सहमति जताई।
कोलकाता
कलकत्ता उच्च न्यायालय की ओर से नियुक्त न्यायमित्र (एमिकस क्यूरी) ने अपने दिशा-निर्देशों में पश्चिम बंगाल के स्कूली छात्रों की सुरक्षा से संबंधित सुझाव दिया था। केन्द्र सरकार ने बुधवार को इसे मंजूरी दे दी। केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) कौशिक चंदा ने कोर्ट को बताया कि ‘बच्चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा अधिनियम’ (2009) में पहले ही स्कूली छात्रों की सुरक्षा का प्रावधान है, फिर भी केंद्र सरकार न्यायमित्र के बताए कदमों (स्टैंडर्ड ऑफ प्रोसीजर) से सहमत है। राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त एडवोकेट जनरल अभ्रतोष मजूमदार ने भी मामूली बदलावों के साथ न्यायमित्र के दिशा-निर्देशों पर सहमति जताई। न्यायमूर्ति नादिरा पथेरिया ने न्यायमित्र फिरोज एडल्जी को इस मामले में केंद्र और राज्य सरकारों की विचार के आधार पर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया था। न्यायालय ने शुक्रवार को फैसला सुनाने के लिए कहा था। न्यायमूर्ति पथेरिया ने शहर के एक स्कूल में दो अध्यापकों के खिलाफ यौन दुर्व्यवहार से जुड़े मामले की सुनवाई करते हुए वकील फिरोज एडल्जी को न्यायमित्र नियुक्त किया था। साथ ही उन्होंने न्यायमित्र को सुझाव देने के लिए एक पैनल भी गठित किया था, जिसमें 6 नामी स्कूलों के शिक्षाविद, पश्चिम बंगाल राज्य बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष, यूनिसेफ और राष्ट्रीय न्यायिक विज्ञान विश्वविद्यालय के प्रतिनिधि शामिल हैं। न्यायमित्र ने सोमवार को 100 पन्नों की अपनी रिपोर्ट कोर्ट में पेश की थी, जिसमें पश्चिम बंगाल राज्य बाल संरक्षण आयोग के तहत एक नोडल संस्था बनाने का सुझाव दिया गया था। रिपोर्ट में नोडल संस्था का काम स्कूल स्टाफ, छात्रों और परिजनों को जागरुक बनाने के लिए एक सेलेबस तैयार करना बताया गया है। इसके अलावा स्कूल में किसी भी व्यक्ति की नियुक्ति से पहले उसके बारे में हर जरूरी जानकारी की जांच करने का भी सुझाव दिया गया है। बुधवार को जस्टिस पथेरिया ने केंद्र और पश्चिम बंगाल सरकार से उनके अधीन आने वाले स्कूलों और शिक्षण संस्थानों में यौन अपराध रोकने के लिए न्यायमित्र के सुझावों पर अपनी राय देने के लिए कहा था।

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