उन्होंने चेतावनी दी कि मध्यप्रदेश की नई सरकार ने बातचीत तो शुरू की है, लेकिन पुनर्वास का काम पूरा नहीं हुआ है। प्रभावित क्षेत्रों के लोग चाहते हैं कि उनका विस्थापन कर लाभ दिया जाए, लेकिन प्रशासन मनमर्जी से काम कर रहा है। 32 हजार परिवारों में से 16 हजार को डूब प्रभावितों की सूची से बाहर कर दिया गया है, जबकि हकीकत में ये आज भी डूब प्रभावित क्षेत्र में हैं। पाटकर समेत डूब प्रभावितों ने शनिवार को पीएम नरेन्द्र मोदी को खुला खत लिखकर व्यवस्था बताई। पाटकर ने कहा, इस साल 139 मीटर तक बांध में पानी नहीं भरना चाहिए। गुजरात में वैसे भी इस साल अधिक बारिश होने के कारण पानी ही पानी है। बांध की ऊंचाई बढ़ाए जाने से मध्यप्रदेश को भी कोई लाभ नहीं हुआ है।
बड़वानी जिले में राजघाट पर सुबह 10 बजे नर्मदा का जलस्तर 133.300 मीटर रहा। रविवार को अनशन अंजड़ के छोटा बड़दा में दोपहर 12 बजे से रैली निकालकर प्रदर्शन कर रहे हैं। टापू बने राजघाट में कई डूब प्रभावित परिवार आज भी रुके हुए हैं। प्रशासन इन लोगों को यहां से निकालने के लिए पिछले कई दिनों से प्रयास कर रहा है। उसके बाद भी लोग मूल गांव छोडऩे को राजी नहीं हो रहे हैं। गुजरात स्थित सरदार सरोवर बांध के गेट नहीं खुलने और बिना पुनर्वास आ रही डूब के विरोध में गांवों में आंदोलन चल रहा है। हालांकि रविवार को 3 गेट खोले हैं फिर भी पीछे से पानी आने से नर्मदा में जलस्तर बढ़ रहा है।